Prayagraj news: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज प्रवीण कुमार त्रिपाठी के खिलाफ दर्ज एफआईआर के तहत विवेचना में सहयोग की शर्त पर उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। जिसे लेकर राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा जा रहा है। बता दें कि ये एफआईआर झूठे आरोप में फंसाकर जौनपुर के मुंगरा बादशाहपुर थाने में दर्ज की गई थी।
दर्ज एफआईआर को रद्द की जाए-याचिकाकर्ता
गिरफ्तारी पर रोक लगाने का ये आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति गजेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने बेसिक शिक्षा प्रवीण की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया था। क्योंकि याची का कहना है कि जब वह जौनपुर में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के पद पर तैनात था, तब उस समय जिला विद्यालय निरीक्षक जौनपुर में कोविड 19 बीमारी से पीड़ित होने की वजह से इस पद का प्रभार था। जहां हिंदू इंटर कॉलेज मुंगरा बादशाहपुर की प्रबंध समिति का चुनाव प्रवीण कुमार त्रिपाठी और संयुक्त शिक्षा निदेशक वाराणसी की निगरानी में सम्पन्न हुआ था। ऐसे में याचिकाकर्ता ने अपने पद का दायित्व निभाया है। उसके बावजूद भी उसके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करना कानूनी प्रक्रिया का उलंघन है। बेहतर होगा कि दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए।
ये भी पढ़ें: वाराणसी में मची चीख-पुकार : तेज रफ्तार ट्रैक्टर ट्राली पलटने से दो मजदूरों की मौत, हादसे में 12 लोग हुए घायल
कोर्ट ने बेसिक शिक्षा की गिरफ्तारी पर लगाई रोक
बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज प्रवीण कुमार त्रिपाठी की बात को मद्देनजर रखते हुए कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। दर्ज मुकदमे पर याचीकाकर्ता का कहना है कि जो एफआईआर दर्ज की गई है जब वहीं झूठी है तो कार्रवाई का कोई सवाल ही नहीं उठता है, और सरकारी सेवक होने के नाते इस मामले में मेरे खिलाफ कोई विभागीय कार्यवाही नहीं की गई है। क्योंकि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत सरकार की अनुमति लिए बगैर मेरे खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती है। फिलहाल, मुझे परेशान करने के लिए ये झूठी एफआईआर दर्ज की गई है।