Agra News- भारतवर्ष में सभी धर्मों और जातियों की
अपनी-अपनी रीतियां और परम्पराएं हैं। इन रीतियों और परम्पराओं का लोग सदियों से अनुसरण
करते आ रहे हैं। आपको बता दें कि देश में एक समाज ऐसा भी है, जिसमें शादी से पहले
दुल्हन को रामचरित मानस के सुंदरकांड की चौपाइयां याद करने के बाद दूल्हा और
ससुराली-जनों को सुनानी होती हैं।
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ऐसा करने के बाद ही वर-वधु पावन अग्नि
के फेरे लेते हैं। मगर, परम्पराओं के अनुसार इस समाज में अग्नि के 7 फेरों की जगह मात्र 4 ही
फेरे लिए जाते हैं। यह अनोखी परम्परा वर्षों से इस समाज के लोगों में चली आ रही है।
आगरा में मंगलवार को जब बागरी समाज का दुल्हा दीपक, झांसी की अपनी दुल्हन रोशनी को
लेकर आगरा कैंट स्टेशन पर पहुंचा, तो उसका स्वागत किया गया। बैंड बाजे की धुन पर
लोग नाचे। दूल्हा और दुल्हन को फूल मालाएं पहनाईं।
जब दुल्हन ने सुंदरकांड की
चौपाइयां सुनाई तो सभी हैरान रह गए। घुमंतू जाति बागरी समाज में अनोखा रिवाज है,
किशादी से पहले दुल्हन को दूल्हा और उसके
परिजन को रामचरित मानस की चौपाइयां,दोहा,सोरठा और गीता के श्लोक सुनाने होते हैं।
बता
दें कि, ताजनगरी में आवास विकास काॅलोनी के
सेक्टर 3 और आसपास के साथ ही जिले में कई जगह पर बागरी समाज के परिवार रहते हैं।
जिनका मुख्य काम पुराने कपड़ों के बदले बर्तन बेचने का होता है। बागरी समाज घुमंतू
समुदाय से है। आवास विकास काॅलोनी सेक्टर 3 निवासी दीपक की शादी, झांसी की रोशनी
सेहुई है।
नव-वधु रोशनी ने बताया,
किमेरे परिवार में 10 सदस्य
हैं। बागरी समाज में सदियों से प्रथा चली आ रही है, किजब
भी कोई लड़की विवाह योग्य होती है तो उसे पहले रामायण की चौपाइयां,दोहा, सोरठा और श्लोक याद
करने होते हैं। कम से कम युवती को सुंदरकांड की पांच चौपाई, सोरठा
और गीता के कुछ श्लोक जरूर याद होने चाहिए, क्योंकि जब लड़की की शादी होती है तो
वर पक्ष को रामायण की चौपाई, दोहा, सोरठा
और गीता के श्लोक सुनाने होते हैं.
रोशनी ने बताया कि जब
मैंने लड़के और उनके घरवालों को सुंदरकांड की चौपाई, दोहा, सोरठा
और गीता के श्लोक सुनाए थे, उसके बाद ही मेरे विवाह की बात शुरु हुई थी। इसके साथ
ही हमारे समाज में कई ऐसी परम्पराएं हैं, जो दूसरे समाज में नहीं हैं। इनमें एक परम्परा
ये है कि बागरी समाज में दूल्हा और दुल्हन विवाह में 7 की
जगह केवल 4 फेरे ही लिए जाते हैं।