मौनी अमावस्या पर्व को लेकर भगवान शिव की नगरी काशी में गंगा घाटों पर तैयारियां जोरों पर हैं। महास्नान पर्व को देखते हुए गुरूवार को वाराणसी के राजघाट पर नमामि गंगे और गंगा टास्क फोर्स के सदस्यों ने पूरे उत्साह के साथ स्वच्छता अभियान चलाया। नमामि गंगे व 137 सी ई टी एफ बटालियन (प्रादेशिक सेना), 39 गोरखा राइफल और गंगा टास्क फोर्स के जवानों ने संयुक्त रूप से अभियान चलाकर घाटों की सफाई करने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को जागरूक करने का काम किया।
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स्वच्छता अभियान के तहत घाटों एवं गंगा की तलहटी में जगह-जगह फेंके गए कूड़े और कचरे के ढेरों को नमामि गंगे के सदस्यों व जवानों ने कूड़ेदान तक पहुंचाया। घाट पर श्रमदान के बाद वहां उपस्थित पर्यटकों और आम लोगों को गंगाघाटों को स्वच्छ रखने की शपथ दिलाई गई। इस दौरान लोगों ने गंगा की अविरल धारा को निर्मलता के साथ बहने और उसे हमेशा स्वच्छ रखने का संकल्प लिया। उधर,, जिला प्रशासन ने मौनी अमावस्या पर उमड़ने वाली लाखों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।
बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार मौनी अमावस्या तिथि का आरंभ 9 फरवरी को सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर होगा। वहीं तिथि की समाप्ति 10 फरवरी को सुबह 4 बजकर 28 मिनट पर होगी। ऐसे में मौनी अमावस्या पर स्नान और दान 9 फरवरी को ही होगा।
मौनी अमावस्या का क्या है महत्व
मौनी अमावस्या का सनातन धर्म में बड़ा महत्व माना गया है। इस दिन व्रत रखकर गंगा स्नान और दान-पुण्य के बाद जगत के पालनहार भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए। इस अमावस्या तिथि को मौन एवं संयम की साधना के साथ-साथ स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करने वाली बताया गया है। शास्त्रों में मौनी अमावस्या पर मौन रखने का विधान है। अगर किसी व्यक्ति के लिए मौन रखना संभव नहीं है, तो वह अपने विचारों को शुद्ध रखें। मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना बेहद फलदायी होता है।