Prayagraj
News- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार एसोसिएशन के पदाधिकारी
के बीच उपजे विवाद पर गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि बार के पदाधिकारी
ऐसा कोई काम नहीं कर सकते हैं कि जिससे बार की या उसके सदस्यों की गरिमा को ठेस
पहुंचे। कोर्ट ने कहा कि बार के पदाधिकारी छोटे-छोटे विवादों से उत्पन्न होने वाले
मतभेदों से अपना स्तर न गिराएं और न ही एसोसिएशन के मूल उद्देश्यों को विफल होने
दें। न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला
की खंडपीठ ने यह आदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष आशीष कुमार मिश्रा की
ओर से दाखिल याचिका निस्तारित करते हुए दिया है।
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याची कोषाध्यक्ष आशीष कुमार मिश्रा की तरफ
से एक याचिका दायर की गई थी। जिसमें यह कहा गया था कि हाईकोर्ट बार
एसोसिएशन के बैंक खाते का नियम विरूद्ध संचालन किया जा रहा है। याची कर्ता की
तरफ से मांग की गई कि बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और महासचिव को एसोसिएशन के बैंक
खाते का संचालन नियम विरुद्ध करने से रोका जाए और कोषाध्यक्ष का सहयोग किया जाए।
इसके साथ ही बिना किसी आदेश के कोषाध्यक्ष का अधिकार छीनने पर रोक लगाने की मांग
भी की गई थी।
इस मा्मले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई शुरू
होते ही दोनों पक्षों की ओर से कहा गया कि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के वार्षिक चुनाव
की घोषणा हो चुकी है। दोनों पक्षों के बीच इस बात पर सहमति बनी है कि वे बार
कर्मचारियों के वेतन, अधिवक्ताओं को मिलने वाली चिकित्सा प्रतिपूर्ति व अन्य दावों
के भुगतान के लिए चेक जारी करने के लिए सहमत हैं। याची की ओर से कहा
गया कि भुगतान के सम्बंध में जारी होने वाले चेक पर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, महासचिव और
कोषाध्यक्ष के हस्ताक्षर होते रहे हैं और इस सम्बंध में समय-समय पर पत्र भी जारी किए गए हैं। न्यायालय ने दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद वेतन, चिकित्सा
प्रतिपूर्ति सहित अन्य जरूरी भुगतानों के लिए संयुक्त हस्ताक्षर वाले चेक जारी
करने का आदेश पारित किया है।
उल्लेखनीय है कि कार्यकारिणी ने पिछले दिनों बैठक की
थी। जिसमें आशीष कुमार मिश्रा को कोषाध्यक्ष पद से हटा दिया गया था और उनके अधिकार
छीनते हुए सभी तरह के भुगतानों के लिए बार के अध्यक्ष और महासचिव के हस्ताक्षर के
जरिए चेक पास करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। इस मामले को आशीष कुमार ने हाईकोर्ट में
चुनौती दी थी। न्यायालय ने सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया है।