वाराणसी दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सीरगोवर्धन में 25 फीट ऊंची संत रविदास की प्रतिमा का अनावरण किया। पीएम मोदी ने संत रविदास मंदिर में पूजा-अर्चना की और लंगर का प्रसाद ग्रहण किया। पीएम ने काशी में संत रविदास म्यूजियम की भी आधारशिला रखी। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि जैसे संत रविदास सबकी प्रेरणा हैं, वैसे ही भाजपा सरकार भी समाज के हर वर्ग के लिए काम कर रही है।
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विपक्ष पर साधा निशाना
पीएम मोदी ने कहा कि हमारी सरकार संत रविदास के विचारों को ही आगे बढ़ा रही है। भाजपा सरकार सबकी है, भाजपा सरकार की योजनाएं सबके लिए हैं। विपक्ष पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ‘हमारे देश में जाति के नाम पर उकसाने और उन्हें लड़ाने में भरोसा रखने वाले लोग दलितों और वंचितों के हितों की योजनाओं का विरोध करते हैं। जाति की भलाई के नाम पर ये लोग अपने परिवार के स्वार्थ की राजनीति करते हैं।’
काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता के विजेताओं को किया पुरस्कृत
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार की सुबह काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने यहां काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया। पीएम के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।
पीएम मोदी का संबोधन
अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि ‘पिछले 10 वर्षों में काशी में जो विकास कार्य हुए हैं, उसके बारे में संपूर्ण जानकारी पर यहां दो किताबें लॉन्च की गई हैं। बीते 10 वर्षों में काशी ने विकास की जो यात्रा तय की है, उसके हर पड़ाव और यहां की संस्कृति का वर्णन इन किताबों में किया गया है।’
पीएम मोदी ने कहा कि ‘काशी केवल हमारी आस्था का ही तीर्थ नहीं बल्कि भारत की शाश्वत चेतना का जाग्रत केंद्र है। पूरे देश और दुनिया के कोने-कोने से ज्ञान, शोध और शांति की तलाश में लोग यहां आते हैं। जिस स्थान पर ऐसी विविधता हो, वहीं नए विचारों का जन्म होता है। काशी तमिल संगमम और गंगा पुष्करालु महोत्सव जैसे एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियानों का भी विश्वनाथ धाम हिस्सा बना है।’ उन्होंने कहा कि ‘नई काशी नए भारत की प्रेरणा बनकर उभरी है, इसलिए मैं आशा करता हूं कि यहां से निकले युवा पूरे विश्व में भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति के ध्वजवाहक बनेंगे।’
पीएम मोदी ने कहा कि ‘हमारे ज्ञान, विज्ञान और आध्यात्म के उत्थान में जिन भाषाओं का सबसे बड़ा योगदान रहा,, उसमें संस्कृत सबसे प्रमुख है। भारत एक विचार है, और संस्कृत उसकी प्रमुख अभिव्यक्ति। भारत एक यात्रा है और संस्कृत उसके इतिहास का प्रमुख अध्याय। भारत विविधता में एकता की भूमि है और संस्कृत उसका उद्गम है।’ उन्होंने कहा कि ‘अगले पांच वर्षों में देश इसी आत्मविश्वास से विकास को नई रफ्तार देगा।’