संगमनगरी प्रयागराज में चल रहे माघ मेले के पांचवे स्नान पर्व माघी पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। गंगा और यमुना नदी के संगम तट पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। काफी संख्या में आए लोगों ने यहां स्नान और दान किया। श्रद्धालुओं ने मां गंगा को दीपदान भी किया।
बता दें कि प्रशासन की तरफ से माघी पूर्णिमा को लेकर काफी तैयारियां की गई हैं। यहां 12 घाट बनाए गए हैं, ताकि श्रद्धालु आसानी से स्नान कर सकें। इस स्नान पर्व के साथ ही कल्पवास का समापन हो जाएगा। एक महीने तक संगम तट पर रहकर कल्पवास करने वाले श्रद्धालु अपने-अपने घरों के लिए रवाना हो जाएंगे।
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माघ पूर्णिमा का क्या है महत्व ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 27 नक्षत्रों में एक ‘मघा’ से माघ पूर्णिमा की उत्पत्ति हुई है। कहते हैं इस दिन देवतागण मानव स्वरूप धारण कर धरती पर गंगा स्नान के लिए आते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और हनुमान जी की भी पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्रीहरि की पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यता ये भी है कि माघी पूर्णिमा पर पवित्र नदियों जैसे गंगा में स्नान के बाद दान-पुण्य करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है।