Swine Flu : दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में अब ठंड कम होती नजर आने लगी है। जिसके चलते लोगों को सर्दी से राहत तो मिला है लेकिन, दूसरी तरफ H1N1 संक्रमण के मामलों में वृद्धि भी तेजी से शुरू हो गई है। जिसे Swine Flu के रूप में जाना जाता है। बता दें कि ये स्वाइन फ्लू इन्फ्लुएंजा ए वायरस का एक सब-टाइप है, जो हद से ज्यादा संक्रामक होता है जो ह्यूमन रेस्पिरेटरी वायरस की एक बड़ी वजह बनता है।
क्यों बढ़ रहे H1N1 फ्लू के मामले?
एक रिपोर्ट के अनुसार, स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामलों के कई कारण हो सकते हैं। जिनमें मौसमी बदलाव, तापमान में अचानक गिरावट होना, कम टीकाकरण की दर होना, संक्रमण को लेकर जागरूकता की कमी और अपर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल जैसे कई कारण शामिल हो सकते हैं।
क्या है स्वाइन फ्लू?
HINI फ्लू में कुछ बदलाव होने पर इसे स्वाइन फ्लू भी कहा जाता है। इसलिये एक प्रकार का ये इन्फ्लूएंजा A वायरस है। साल 2009 -10 के फ्लू सीजन के दौरान, एक नया H1N1 वायरस जो इंसानों को बीमारी का घर बना रहा है। जिसे स्वाइन फ्लू कहा जाता था ये इन्फ्लूएंजा वायरस का एक नया संयोजन था जो सूअरों, पक्षियों और मनुष्यों को अपनी चपेट में ले लेता है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू (H1N1 इन्फ्लूएंजा) के लक्षणों में बुखार, खांसी, गले में खराश, बहती या बंद नाक, शरीर में दर्द, सिरदर्द, थकान और कभी-कभी उल्टी या दस्त जैसी शिकायत हो सकती हैं। बता दें कि गंभीर मामलों में इससे निमोनिया और रेस्पिरेटरी फेलियर जैसी शिकायत होने लगती है।
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स्वाइन फ्लू से सुरक्षित रहने के लिए अपनाएं ये उपाय
स्वाइन फ्लू से बचने के लिए जरूरी है कि H1N1 स्ट्रेन सहित मौसमी इन्फ्लूएंजा के खिलाफ वैक्सीन लगवाना काफी बेहतर होगा। खासकर हाई रिस्क वाले व्यक्तियों के लिए ये सबसे ज्यादा जरूरी होता है।
इसके अलावा अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता का पालन करना भी जरूरी है।
साबुन और पानी से हाथ धोना, खासकर खांसने या छींकने के बाद और अल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइजर की मदद से वायरस को रोका जा सकता हैं।