लखनऊ: महाशिवरात्रि पर्व इस वर्ष 8 मार्च को मनाया जाएगा। इसको लेकर देश भर में उत्सव का माहौल है। महाशिवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव ने वैराग्य छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। यह पर्व ज्योतिर्लिंगों के प्रकाटोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। भक्त इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस कारण महाशिवरात्रि को बहुत पवित्र पर्व माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार, एक बार सृष्टि के आरंभ में ब्रह्माजी और विष्णुजी के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो गया। इस विवाद के दौरान एक अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ और आकाशवाणी हुई कि जो भी इस स्तंभ के आदि और अंत को जान लेगा, वही श्रेष्ठ कहा जाएगा।
ब्रह्मा और जगत के पालनहार विष्णु, दोनों ने युगों तक इस स्तंभ के आदि और अंत को जानने की कोशिश की, लेकिन वे इसे नहीं जान सके। तब भगवान विष्णु और ब्रह्मा ने अपनी हार स्वीकार करते हुए, अग्नि स्तंभ से रहस्य के बारे में बताने के लिए भगवान शिव से विनती की। तब भगवान शिव ने कहा कि श्रेष्ठ तो आप दोनों ही हैं, लेकिन मैं आदि और अंत से परे हूं। इसके बाद विष्णु भगवान और ब्रह्मा ने उस अग्नि स्तंभ की पूजा अर्चना की और वह स्तंभ एक दिव्य ज्योतिर्लिंग में बदल गया।
जिस दिन यह घटना घटी, उस दिन फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि थी। तब भोनेनाथ ने कहा कि इस दिन जो भी व्यक्ति मेरा व्रत व पूजन करेगा, उसके सभी कष्ट दूर होंगे और सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। तभी से इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा।
एक और पौराणिक कथा के अनुसार, कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शिव द्वादश ज्योतिर्लिंग के रूप में संसार में प्रकट हुए थे। 12 ज्योतिर्लिंगों के प्रकट होने के उत्सव के रूप में भी महाशिवरात्रि मनाई जाती है। तीसरी कथा के अनुसार, फाल्गुन माह की चतुर्दशी को माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। इस दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़ गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया। शिव और शक्ति के मिलन के उत्सव के तौर पर महाशिवरात्रि के दिन भक्त पूजन और व्रत करके इस उत्सव को मनाते हैं।
भगवान शिव का पूजन का मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य डॉ. गौरव दीक्षित ने बताया कि महाशिवरात्रि का पूजन निशिता काल में ही किया जाता है। प्रथम पहर पूजन समय 8 मार्च को शाम छह बजकर 25 मिनट से शुरू होगा और समापन रात नौ बजकर 28 मिनट को होगा। दूसरा पहर पूजन समय 8 मार्च को रात 9 बजकर 28 मिनट से शुरू होगा और समापन 9 मार्च को रात 12 बजकर 31 मिनट पर होगा। ज्योतिषाचार्य का कहना है कि इन मुहूर्त में भगवान शिव की आराधना करने से पुण्य लाभ प्राप्त होगा।