भाषा एक ऐसा माध्यम है, जो दो लोगों को एक दूसरे के साथ जोड़ने में मदद करती है। भाषा के कारण ही हम अपनी संस्कृति और पहचान को कायम रख पाते हैं। एक देश में कई भाषाएं हो सकती हैं, जो अपने-अपने क्षेत्रों के हिसाब से बोली जाती हैं। विश्व में भाषाई व सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने और मातृ भाषा के प्रति जागरुकता लाने के मकसद से हर साल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।
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भाषा मनुष्यों के बीच संबंध बनाए रखने का एक जरिया है। भाषा के द्वारा ही लोग एक दूसरे से जुड़े हुए महसूस करते हैं। इसी से हमें अपनेपन की भावना आती है।दुनिया की प्रमुख भाषाओं की बात करें तो इनमें हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, पंजाबी, अरबी, जापानी, रूसी, पुर्तगाली, मैंडरिन और स्पैनिश हैं।
बता दें कि दुनिया में करीब 6500 भाषाएं बोली जाती हैं, जिनमें सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में अंग्रेजी के बाद चीन की मैंडरिन भाषा है। वहीं विश्व में हिंदी तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है।
20 सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में 6 भारतीय भाषाएं
दुनिया की 20 सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में 6 भारतीय भाषाएं शामिल हैं। हिंदी के बाद सबसे ज्यादा बंगाली भाषा बोली जाती है, जो सातवें नंबर पर है। इसके अलावा 11वें नंबर पर उर्दू, 15वें नंबर पर मराठी, 16वें नंबर पर तेलगू और 19वें नंबर पर तमिल भाषा बोली जाती है।
अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस 2024 की थीम
अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस का 25वां संस्करण “बहुभाषी शिक्षा- शिक्षा को बदलने की आवश्यकता” विषय पर केंद्रित होगा। ये थीम भाषाओं पर केंद्रित है और स्वदेशी विरासत को संरक्षित करने में मदद करती है।
अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस का इतिहास
साल 1999 में यूनेस्को ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान किया था, जिसके बाद वर्ष 2000 से ये दुनियाभर में मनाया जाने लगा।