देहरादून: उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स प्रदेश के मदरसों में भगवान राम के बारे में पढ़ाए जाने की बात कही है। इसके पीछे उनका तर्क है कि भगवान राम भारतीय मुसलमानों के भी पूर्वज हैं। उन्होंने कहा भारत में रहने वाले मुस्लिम समाज के लोग अरब के नहीं, बल्कि भारत के ही मूल निवासी हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय मुसलमानों ने सिर्फ पूजा पद्धति बदली है। वह अपने पूर्वजों के विरासत को नहीं बदल सकते। उन्होंने कहा भगवान राम हमारे भी पूर्वज हैं।
शादाब शम्स ने कहा कि भारतीय मुसलमान भी राम का अनुसरण करें, इसको लेकर प्रदेश के मदरसों में भगवान राम के बारे में बच्चों को पढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसकी शुरूआत पहले 4 मदरसों से होगी। बाद में यह नियम प्रदेश भर के मदरसों पर लागू होगा। शादाब शम्स ने जोर देते हुए कहा कि मदरसों में भगवान राम के बारे में पढ़ाया जाएगा, औरंगजेब के बारे में नहीं, क्योंकि भगवान राम पूरी दुनिया के लिए आदर्श हैं।
भगवान राम को प्रेरणास्रोत बताते हुए शम्स ने कहा कि ‘श्रीराम हम सभी के लिए आदर्श हैं। वह अपने पिता के सम्मान की रक्षा के लिए 14 वर्षों तक वन में रहे। इसीलिए हर कोई चाहता है कि उनका बेटा राम जैसा हो। उन्होंने कहा एक तरफ हमारे सामने भगवान राम का चरित्र है, तो दूसरी तरफ औरंगजेब जैसा चरित्र, जिसने अपने भाई की हत्या कर दी और पिता को जेल में डाल दिया। हम किसी भी कीमत पर मदरसों में औरंगजेब के बारे में नहीं पढ़ाएंगे, बल्कि नबी और श्रीराम के बारे में पढ़ाएंगे।
शादाब शम्स ने कहा कि उत्तराखंड के मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू है। चूंकि, शिक्षा विभाग भी एनसीईआरटी की किताबों में भगवान राम की जीवनी को शामिल कर रहा है। ऐसे में स्वाभाविक सी बात है कि मदरसों में भी भगवान राम के बारे में पढ़ाया ही जाएगा।