28 फरवरी का दिन,, भारत की विशेष उपलब्धि का दिन है। इस दिन को भारतीय भौतिक वैज्ञानिक डॉ सी वी रमन की एक महत्वपूर्ण खोज ‘रमन इफेक्ट’ के लिए खास तौर पर जाना जाता है। ये दिन भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए योगदान के लिए पहचाना जाता है।
डॉ सी वी रमन के सम्मान में होता है ये दिवस
‘रमन इफेक्ट’ की खोज की घोषणा के चलते साल 1986
में
भारत सरकार ने 28
फरवरी
को हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। दरअसल रमन इफेक्ट या रमन प्रकीर्णन प्रकाश की तरंग दैर्ध्य में वो परिवर्तन है, जो अणुओं द्वारा प्रकाश किरण को विक्षेपित करने के समय होता है। इस विशिष्ट खोज के लिए डॉ चंद्रशेखर वेंकट रमन को साल 1930 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत उन्हीं के सम्मान में हर साल इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाता है।
16 वर्ष
की आयु में हुए ग्रेजुएट
सी वी रमन शुरू से ही काफी मेधावी रहे। 13 वर्ष की उम्र में उच्च माध्यमिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद उन्होंने 16 साल में ही स्नातक की उपाधि हासिल कर ली। स्नातक में वे सम्मान
के साथ उत्तीर्ण हुए और भौतिक विज्ञान में उन्हें ‘स्वर्णपदक’ दिया गया।
कैसे हुई ‘रमन इफेक्ट’ की खोज
वर्ष 1917
में
कलकत्ता विश्वविद्यालय में वे भौतिकी के प्रोफेसर बने। डॉ सी वी रमन ने ‘रमन
प्रभाव’ की खोज 1921 में
लंदन से बम्बई के लिए पानी के जहाज से लौटते समय कर ली। इस दौरान रमन ने पहली बार
हिमखंडों और भूमध्य सागर के चमकीले नीले रंग को देखा। वह यह पता नहीं लगा सके कि
यह रंग कैसे उत्पन्न हुआ और वे उस समय के प्रचलित सिद्धांत का खंडन करने के लिए
निकल पड़े, जिसमें कहा गया था कि
सन लाइट,, पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने पर बिखरती है,
जिससे
विभिन्न रंग दिखाई देते हैं। इसके बाद रमन ने स्वयं प्रयोग करना शुरू किया,
बाद
में अपने छात्र के.एस. कृष्णन के
साथ उन्होंने पता लगाया कि जब प्रकाश किसी पारदर्शी पदार्थ से होकर गुजरता है तो
कुछ प्रकाश अलग-अलग दिशाओं में बिखरता हुआ निकलता है। इसका जवाब पाने के लिए
उन्होंने बहुत सारे प्रयोग किए और अंत में 28 फरवरी 1928 को उन्हें सफलता हासिल हुई।
दो
साल की अनदेखी के बाद 1930 में मिला नोबेल पुरस्कार
1928
में
प्रकाशित हुए प्रकाश प्रकीर्णन के इन परिणामों ने वैज्ञानिक जगत में तहलका मचा दिया, लेकिन इस दौरान सीवी रमन के भौतिकी के क्षेत्र में किए गए योगदान की अनदेखी की गई,, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। 1930 में आखिरकार उन्हें नोबेल पुरस्कार मिल ही गया। उनके इस विशिष्ट कार्य ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कराया।
यह पहला मौका था जब
किसी भारतीय वैज्ञानिक को विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला। उनकी इस खोज
को ‘रमन इफेक्ट’ का नाम दिया गया। डॉ सी वी रमन की इस खोज के सम्मान में
देश के युवा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के मकसद से राष्ट्रीय
विज्ञान दिवस मनाया जाता है। डॉ सीवी रमन को 1954 में भारत सरकार द्वारा भारत रत्न
की उपाधि से अलंकृत किया गया और 1957 में लेनिन शांति पुरस्कार प्रदान किया गया।
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