जम्मू-कश्मीर के भारत
में विलय के बाद पाकिस्तान ने यहां के एक बड़े भू-भाग पर अपना कब्जा जमाया। इसी को
लेकर 22 फरवरी 1994 को देश की संसद में एक प्रस्ताव पारित कर पाकिस्तान अधिक्रांत
जम्मू-कश्मीर पर हक जताते हुए उसे भारत का अटूट अंग बताया गया।
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दरअसल आज से करीब तीन दशक पहले, इसी दिन संसद के दोनों सदनों में एक प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित कर
पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर (POJK)
पर अपना हक जताते हुए उसे भारत का अटूट अंग कहा गया। इस प्रस्ताव के अनुसार, पाकिस्तान
को वो हिस्सा छोड़ना होगा, जिस
पर उसने अपना अवैध कब्जा जमा रखा है। इसके बाद ये प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया।
फिर 2016 में केंद्र की BJP
सरकार ने इसे खोलते हुए 2023 में इसपर बड़ा निर्णय लिया।
यहां हम आपको ये
बताते चलें कि जिसे हम पाकिस्तान अधिक्रांत कश्मीर कहते हैं,
दरअसल वो जम्मू-कश्मीर का हिस्सा था,
ना कि सिर्फ कश्मीर का। इस क्षेत्र की भाषा कश्मीरी न होकर डोगरी और मीरपुरी का
मिश्रण है।
संकल्प
प्रस्ताव की ये विशेष बातें
22 फरवरी 1994 को भारतीय
संसद में पारित इस संकल्प प्रस्ताव में कहा गया कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में
भारत के क्षेत्रों पर कब्जा कर रहा है और भारत सरकार कब्जे वाले क्षेत्रों को वापस
लेने के लिए प्रतिबद्ध है। इस संबंध में किसी समझौते को स्वीकार नहीं किया जाएगा। प्रस्ताव
में ये भी कहा गया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों का प्रयोग देश में
आतंकवादियों को प्रशिक्षित करने और लॉन्च करने के लिए किया जा रहा है। इसमें भारतीय
संसद ने पाकिस्तान से आतंक समर्थक गतिविधियों से दूर रहने को कहा। प्रस्ताव में कहा
गया कि जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान के कब्जे वाले
भारतीय क्षेत्रों को खाली करने की मांग की गई। भारतीय संसद ने कहा कि पाकिस्तान
जम्मू-कश्मीर मामले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश करके शिमला समझौते का
उल्लंघन कर रहा है।
क्या
था शिमला समझौता ?
1971 में
भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद शिमला समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत नियंत्रण रेखा
को दोनों देशों के बीच सरहद के रूप में स्वीकार किया गया। भारत की तत्कालीन
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच 2 जुलाई
1972 को ये समझौता हुआ। शिमला समझौते के बाद अब दोनों देशों के नक्शे नहीं बदल सकते।
इस शिमला समझौते में ये भी तय हुआ था कि भारत और पाकिस्तान अपने आंतरिक मामलों को
आपस में सुलझाएंगे।
पाकिस्तान
ने शिमला समझौते का कई बार किया उल्लंघन
पाकिस्तान की तरफ से POJK
को लेकर कई बार शिमला समझौते का उल्लंघन किया गया। पाकिस्तान ने इस समझौते पर
हस्ताक्षर करके इसे कभी नहीं माना। पाकिस्तान की इस करतूत का असर ये हुआ कि भारतीय
संसद को POJK मुक्त कराने के लिए
संकल्प लेना पड़ा।