Ayodhya news: अयोध्या नगरी में बने राम मंदिर में आज प्रभु श्री राम विराजमान होंगे। जिनके स्वागत में पूरा देश सज-धज कर तैयार है। श्री रामजन्मभूमि की उस पावन धरती पर आज प्रभु श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है। इस भव्य मंदिर को बनाने में न सिर्फ सनातनी मूल्यों को ध्यान में रखा गया है बल्कि, वैज्ञानिकों ने भी विशेष कौशल का प्रदर्शन कर दिखाया है। दरअसल राम मंदिर के गर्भगृह में श्री रामलला की मूर्ति को वैज्ञानिक तकनीक के साथ स्थापित किया गया है, आप स्वंय भी जानकर आश्चर्यचकित हो जाएंगे। इसकी खासियत ये है कि भगवान सूर्य स्वंय श्री रामलला का तिलक करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के भूमिपूजन के साथ ही सूर्यवंशी श्रीराम का सूर्याभिषेक कराने के लिए इस तकनीक की इच्छा जताई थी। हालांकि ये वैज्ञानिकों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन कई प्रयासों के बाद जाकर 40 महीनों की ये मेहनत अंतत: रंग लाई।
वैज्ञानिकों ने किया बड़ा करिश्मा
आपको बता दें कि वैज्ञानिकों ने इस चुनौती पूर्ण तकनीक के लिए कई दर्पण और लेंस से संबंधित उपकरण तैयार किए हैं। इस उपकरण को ‘सूर्य तिलक तंत्र’ नाम दिया गया है। इसे सफल बनाने में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान यानि (सीबीआरआइ), रुड़की की प्रमुख भूमिका रही है।
राम जन्मोत्सव आने तक का करनी होगी प्रतिक्षा
विज्ञान की इस अनोखी तकनीक के बारे में जिसने भी जाना, हर कोई इसे देखने की इच्छा जताने लगा। लेकिन लोगों को अभी अगले साल राम जन्मोत्सव आने तक का इतंजार करना पड़ सकता है। सीबीआरआइ के निदेशक डा. प्रदीप कुमार रमनचारला ने बताया कि जब तक मंदिर का निर्माण पूरा नहीं होता, तब तक सूर्य तिलक तंत्र पूरी तरह से प्रभावी नहीं हो पाएगा। क्योंकि अभी तीन तल के मंदिर में भूतल का ही निर्माण हो पाया है। वहीं, गर्भगृह और भूतल में सूर्य तिलक यंत्र के उपकरण यथास्थान संयोजित भी किए गए हैं।
सूर्य तिलक यंत्र में है बड़ी खासियत
बता दें कि इस सूर्य तिलक यंत्र में एक गियरबॉक्स, परावर्तक दर्पण और लेंस की व्यवस्था कुछ इस तरह से की गई है कि शिकारे के पास तीसरे तल से सूर्य की किरणों को गर्भ गृह में लाया जाएगा। साथ ही आप्टिकल लेंस और पीतल की ट्यूब का निर्माण किया गया है जो सूर्य के पथ पर दृष्टि रखेगी।
सूर्य तिलक तंत्र को तैयार करने में सीबीआरआई वैज्ञानिकों की जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम ही होगी।
सूर्य तिलक तंत्र में वो विशेषता है कि हर साल रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे लगभग 6 मिनट तक सूर्य की किरणें रामलला के विग्रह के माथे पर पड़ेंगी। इस पर ट्रस्ट के न्यासी आचार्य राधेश्याम का कहना है कि रामजन्मभूमि असाधारण भूमि रही है ऐसे में यहां की दिव्यता से प्रेरित होकर ही प्रधानमंत्री मोदी ने रामलला के सूर्याभिषेक की परिकल्पना की, जिसे हमारे वैज्ञानिकों ने आज साकार कर दिखाया हैं।
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