Mau News- पूर्वांचल के
माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर शाम हार्ट अटैक से मौत हो गई। बता दें
कि कई आपराधिक मामलों में वह बांदा जेल में बंद थे और काफी बीमार चल रहे थे। हाल ही
में उनको बांदा के मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी हालत स्थिर होने के बाद फिर से उन्हें
बांदा भेज दिया गया था। मुख्तार अंसारी मऊ से रिकॉर्ड पांच बार विधायक रहे। बता दें कि उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल
को माफिया मुख्तार अंसारी का गढ़ मना जाता रहा है।
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उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल
को माफिया मुख्तार अंसारी का गढ़ मना जाता रहा है। माफियागिरी से राजनीतिक सफर की
शुरुआत करने वाले मुख्तार अंसारी के ऊपर भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से लेकर
दंगे व दूसरे आपराधिक मामलों के लगभग 61 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से कई मुकदमों
में उसे सजा भी हो चुकी थी।
1996 से शुरूआत, फिर 2022 में हुआ सक्रिय राजनीति से अंत
बता दें कि 90 के दशक में गाजीपुर, मऊ, बलिया, वाराणसी और जौनपुर में सरकारी ठेकों को लेकर गैंगवार
शुरू हो गए थे। इस दौर में इन जिलों में सबसे चर्चित नाम रहा मुख्तार अंसारी का। मुख्तार
अंसारी 1996 में पहली बार बसपा से मऊ
सदर से विधायक बना और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। मुख्तार ने मऊ को अपना गढ़ बनाया
और यहां से लगातार पांच बार 2022 तक विधायक रहा। मुख्तार
अंसारी ने 2002 में बसपा से टिकट
न मिलने पर निर्दल मऊ सदर से चुनाव लड़ने का फैसला किया और जीत हासिल की।
कौमी एकता दल पार्टी
का गठन
उसके बाद उसने अपनी
खुद की पार्टी का गठन किया और कौमी एकता दल के नाम से चुनाव मैदान में उतर गया और लगातार
दो बार जीत हासिल की। 2017 के विधानसभा चुनाव
में मुख्तार ने एक बार फिर बसपा का दामन थामा और अपनी पार्टी कौमी एकता दल का बसपा
में विलय कर लिया और जीत हासिल की। 2022 में विधान सभा चुनाव में किन्ही कारणों से उसने चुनाव लड़ने से मना कर दिया और
इस सीट पर अपने बेटे अब्बास अंसारी को मैदान में उतारा और मुख्तार की विरासत मऊ सदर
पर अब्बास ने जीत हासिल कर ली।30 जून 1963 को गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में सुबहानउल्लाह अंसारी और
बेगम राबिया के घर जन्में मुख्तार अंसारी तीन भाईयों में सबसे छोटे थे। मुख्तार की
पत्नी अफशां अंसारी से मुख्तार के दो बेटे अब्बास अंसारी व उमर अंसारी हैं।
पूर्वांचल की 24 लोकसभा
और 120 विधानसभा सीटों पर माफिया
का दबदबा
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल
के लगभग दो दर्जन लोकसभा और 120 विधानसभा सीटों पर
माफिया मुख्तार अंसारी का सीधा या आंशिक प्रभाव माना जाता रहा है। कभी पूर्वांचल के
वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, जौनपुर और मऊ में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी। इन जिलों में मुख्तार अंसारी
और इसके कुनबे का दबदबा माना जाता रहा है। यही वजह थी कि कभी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय
अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव तो कभी मायावती ने मुख्तार को अपनाया। मायावती ने तो मुख्तार
अंसारी को गरीबों का मसीहा तक कह डाला।
अपराध मुक्त प्रदेश के तहत 500 करोड़ की संपत्ति पर हुई कार्रवाई
कभी जिसके नाम की
तूती पूर्वांचल के दर्जनों जिले में बोलती थी। आज लोग उसका नाम अपने नाम के साथ जोड़ने से
कतरा रहे हैं। लोग कहते हैं कि अस्सी और नब्बे के दशक में जिस माफिया मुख्तार अंसारी
के नाम से सरकारी ठेके खुला करते थे, अवैध वसूली हुआ करती थी। कभी जिसको करीबी होना लोग शान समझते थे, आज उस माफिया
मुख्तार अंसारी के नाम को अपने नाम के साथ जोड़ने से लोग कतरा रहे हैं। 90 के दशक से शुरु हुआ मुख्तार का रसूख 2017
तक आते-आते ध्वस्त होना शुरु हुआ और आलम यह रहा
की योगी सरकार के अपराध के खिलाफ चलाई जा रही है मुहिम में 2024 तक माफिया मुख्तार की लगभग 500करोड़ की संपत्ति या तो जब्त की जा चुकी है, या उस पर बुलडोजर
चलाया जा चुका है।