बालिग प्रेमिका को नाबालिग लड़के के साथ लिव-इन रिलेशनशिप की इजाज़त देने से इन्कार करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जो लड़का खुद अपने पिता पर निर्भर है, वह प्रेमिका की देखभाल नहीं कर सकता। ये आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति मो. अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने गाजीपुर निवासी बालिग प्रेमिका और आजमगढ़ निवासी उसके नाबालिग साथी की ओर से अपहरण की प्राथमिकी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए दिया।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान नाबालिग लड़के के महिला के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने की इच्छा पर आश्चर्य प्रकट किया। हाईकोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि एक नाबालिग लड़का, जो स्वयं अपने पिता पर आश्रित है,,वह बालिग महिला के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहता है। उसने अपहरण के आरोप में दर्ज एफआईआर रद करने की मांग को लेकर याचिका दायर की।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद-226 की अंतर्निहित शक्तियों का इस्तेमाल कर प्राथमिकी रद्द करने का प्रश्न ही नहीं है। हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी तथा न्यायमूर्ति एम ए एच इदरीसी की खंडपीठ ने आंचल राजभर व जयहिंद राजभर की याचिका पर दिया है।
दरअसल गाजीपुर के बहरिया थाने में 7 सितम्बर 2023 को नाबालिग लड़के का अपहरण करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई,, जिसकी वैधता को यह कहते हुए चुनौती दी गई कि दोनों रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं, इसलिए एफआईआर रद्द की जाए।
क्या है पूरा मामला ?
याचिका में संलग्न तथ्यों के अनुसार, मामला गाजीपुर के बहरिया क्षेत्र का है। याची (प्रेमिका) के पिता हरिराम राजभर ने बेटी के नाबालिग प्रेमी के खिलाफ आईपीसी की धारा 366 (अपहरण) की प्राथमिकी दर्ज कराई थी। याची (प्रेमिका) और उसके साथी ने संयुक्त रूप से याचिका दाखिल कर प्राथमिकी रद्द करने की मांग की थी।