Lucknow News: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संस्थापक व प्रथम सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार की जयंती पर उन्हें नमन किया। सीएम ने हिन्दू नव वर्ष एवं चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर समस्त देशवासियों को शुभकामनाएं दी।
सीएम योगी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर लिखा कि माँ भारती के अमर सपूत, कुशल संगठनकर्ता, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आद्य सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
उनका ‘राष्ट्र प्रथम’ की पावन भावना के साथ राष्ट्रीय एकात्मता के प्रति समर्पित उनका आदर्शमय जीवन हम सभी के लिए अनुकरणीय है। सीएम ने आगे लिखा कि नव संवत्सर, विक्रम संवत-2081 की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएं। यह हिन्दू नव वर्ष सबके संकल्पों की सिद्धि का साक्षी बने। चहुंओर शांति, समृद्धि और खुशहाली हो। प्रभु श्री राम से यही प्रार्थना है। बता दें कि डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म 1 अप्रैल, 1889 को नागपुर के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
जब वह महज 13 वर्ष के थे, तभी उनके पिता पंडित बलिराम पंत हेडगेवार और माता रेवतीबाई का निधन हो गया। उसके बाद उनकी देखभाल उनके दोनों बड़े भाइयों महादेव पंत और सीताराम पंत ने की। उनकी शुरुआती पढ़ाई नागपुर के नील सिटी हाईस्कूल में हुई। स्कूल में ‘वंदे मातरम्’ गाने की वजह से उन्हें निष्कासित कर दिया गया। जिसके बाद पढ़ाई करने के लिए उन्हें यवतमाल और फिर पुणे भेजा गया। मैट्रिक की पढ़ाई कंप्लीट होने के बाद हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी. एस. मूंजे ने उन्हें मेडिकल की पढ़ाई के लिए सन 1910 में कलकत्ता भेज दिया।
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पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 1915 में नागपुर वापस लौटे। कोलकाता में रहते हुए डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने अनुशीलन समिति और ‘युगांतर’ जैसे विद्रोही संगठनों से अंग्रेजी सरकार से निपटने के लिए विभिन्न विधाएं सीखी। अनुशीलन समिति की सदस्यता ग्रहण करने के साथ ही वह रामप्रसाद बिस्मिल के संपर्क में आए। नागपुर वापस लौटने के बाद उनका सशस्त्र आंदोलनों से मोह भंग हो गया। नागपुर लौटने के बाद डॉ. हेडगेवार समाज सेवा और तिलक के साथ कांग्रेस पार्टी से मिलकर कांग्रेस के लिए कार्य करने लगे थे।
कुछ समय बाद ही काँग्रेस से उनका मोह भंग हो गया। केशव बलिराम हेडगेवार ने हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना की। उस परिकल्पना को साकार करने के लिए 1925 में ‘विजयदशमी’ के दिन संघ की नींव रखी। वह संघ के पहले सरसंघचालक बने। संघ की स्थापना के बाद उन्होंने उसके विस्तार की योजना बनाई और नागपुर में शाखाएं लगने लगी। भैय्याजी दाणी, बाबासाहेब आप्टे, बालासाहेब देवरस और मधुकर राव भागवत इसके शुरुआती सदस्य बने। इन्हें अलग-अलग प्रदेशों में प्रचारक की भूमिका सौंपी गई।
उन्होंने संघ शाखा के माध्यम से राष्ट्र भक्तों की फौज खड़ी की। उन्होंने व्यक्ति की क्षमताओं को उभारने के लिए नए तौर-तरीके विकसित किए। सारी जिन्दगी लोगों को यही बताने का प्रयास किया कि नई चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें नए तरीकों से काम करना होगा। स्वयं को बदलना होगा। पुराने तरीके काम नहीं आएंगे। उनकी सोच युवाओं के व्यक्तित्व, बौद्धिक एवं शारीरिक क्षमता का विकास कर उन्हें एक आदर्श नागरिक बनाती है।
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