Uttar Pradesh: छत्तीसगढ़ राज्य के कांकेर जिले की
रहने वाली संतोषी दुर्गा को आगामी 22
जनवरी
को अयोध्या में श्रीराम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है। संतोषी
दुर्गा कांकेर जिले के पंचायत नरहरपुर के भगतसिंह वार्ड में रहती हैं। निमंत्रण
मिलने से संतोषी भाव विभोर हो गईं,
उनकी
आंखों से खुशियों का सैलाब उमड़ पड़ा। उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कोटि-कोटि साधुवाद किया है। संतोषी
दुर्गा शवगृह में छोटी सी नौकरी करती हैं और 20 सालों में 700 से ज्यादा शवों का शव-विच्छेदन कर चुकी हैं।
श्रीराम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर पूरे देश में उत्सव मनाया
जा रहा है। अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले
इस ऐतिहासिक आयोजन में कई प्रतिष्ठित लोगों को आमंत्रित किया गया है। जिसमें
छत्तीसगढ़ के नागरिकों को भी निमंत्रण पत्र प्राप्त हुआ है। इसमें कांकेर जिले की
नरहरपुर निवासी संतोषी दुर्गा को भी श्री राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में
आने के लिए विशेष निमंत्रण दिया गया है। निमंत्रण मिलने पर भावुक होते हुए संतोषी
दुर्गा ने कहा कि भगवान श्री राम ने उंगली पकड़ कर मुझे अयोध्या बुलाया है। अनुसूचित
जाति वर्ग से आने वाली संतोषी दुर्गा के परिवार में उनके पति रविन्द्र दुर्गा सहित
छह सदस्य हैं। दुर्गा अपने तीन बच्चों अभिषेक, योगेश्वरी और धानी सहित अपनी बहन बिंदू और सिंदूर
का भी पालन-पोषण करती हैं।
700 से भी अधिक शवों का कर
चुकी हैं पोस्टमॉर्टम
पेशे से सफाईकर्मी 36 वर्ष की संतोषी दुर्गा नरहरपुर स्थित सामुदायिक
स्वास्थ्य केंद्र में लगभग 20
साल में 700 से ज्यादा शवों का शव-विच्छेदन कर चुकी हैं। 06 जनवरी 2024 को जब उनको श्री राम मंदिर
ट्रस्ट की ओर से निमंत्रण मिला, तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। उन्हें मिले
आमंत्रण से पूरे नरहरपुर में खुशियों का वातावरण है। स्थानीय लोगों ने भी संतोषी से
भेंट कर, उन्हें बधाई दी और उनको सम्मानित किया है। उन्होंने कहा कि अयोध्या से निमंत्रण
मिलेगा, ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था।
पिता की शराब छुड़ाने को खुद शुरू किया काम, 2004
से कर रही हैं शवों का शव-विच्छेदन
संतोषी दुर्गा ने बताया कि उनके पिता भी इसी
स्वास्थ्य केंद्र नरहरपुर में नौकरी करते थे। शव-विच्छेदन करते वक्त वह बदबू और शव
की वीभत्सता से बचने के लिए शराब का सेवन करने लगे। इस वजह से उनको नशे की लत हो गई। उन्होंने बताया कि जब पिता से शराब छोड़ने
की बात करतीं, तो उनके पिता एक लाइन में जवाब दे देते थे कि शव का चीर-फाड़ होशोहवास
में कोई कर ही नहीं सकता। उसकी बदबू व गंध झेलना हर किसी के बस की बात नहीं है। पिता की इस बात को
गांठ बांधकर, उन्होंने पिता से शर्त लगाई कि वह बिना नशा किए शव-विच्छेदन कर सकती
हैं। यह बात सन् 2004 की है, तब से वह लगातार इस काम को बेहतर ढंग से अंजाम
दे रही हैं।