छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ में अबतक 13 नक्सलियों के शव मिल चुके हैं। आज बुधवार की सुबह सर्च ऑपरेशन के दौरान जवानों को तीन और शव मिले हैं। बता दें कि मंगलवार दो अप्रैल को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच बड़ी मुठभेड़ हुई थी। इसमें कई नक्सली मारे गए थे और कई घायल बताए जा रहे थे।
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क्या है पूरा मामला ?
जानकारी के अनुसार, ये मुठभेड़ 2 अप्रैल को गंगालूर थाना क्षेत्र के कोरचोली के जंगलों में हुई थी। मुठभेड़ में कई नक्सली घायल भी हुए थे। सुरक्षाबलों द्वारा उन्हें ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया। इसके तहत सुरक्षाबलों ने इलाके को चारों तरफ से घेर लिया। मारे गए नक्सलियों के पास से इंसास LMG जैसे ऑटोमैटिक हथियार भी बरामद हुए हैं। नक्सलियों के खिलाफ इस अभियान में DRG, CRPF, कोबरा बटालियन और बस्तर बटालियन के जवानों को बड़ी सफलता हासिल हुई है। ये मुठभेड़ कई घंटों तक चली है और सर्च ऑपरेशन अभी भी जारी है।
पुलिस अधिकारियों ने अनुसार इस घटना समेत इस वर्ष अब तक बीजापुर जिले सहित बस्तर क्षेत्र में सुरक्षाबलों के साथ अलग-अलग मुठभेड़ों में करीब 37 नक्सली मारे जा चुके हैं। बता दें कि बस्तर लोकसभा क्षेत्र में 19 अप्रैल को आम चुनाव के पहले चरण का मतदान होना है।
क्या होता है नक्सलवाद ?
नक्सलवाद एक उग्रवादी संगठन है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में माओवादी विचारधारा के आधार पर काम करता है। नक्सलवाद शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के नक्सलवाड़ी गांव से हुई थी। भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता चारु माजूमदार और कानू सान्याल ने 1967 में सत्ता के खिलाफ एक सशस्त्र आंदोलन शुरु किया था। माजूमदार चीन के कम्यूनिस्ट नेता माओत्से तुंग के बड़े प्रशसंक थे। इसी वजह से नक्सलवाद को ‘माओवाद’ भी कहा जाता है। नक्सलवाद प्रभावित इलाकों की बात करें तो इनमें दक्षिणी क्षेत्र के कुछ इलाके, छत्तीसगढ़ और झारखंड के क्षेत्र प्रमुख रूप से आते हैं।