Lucknow News- उत्तर प्रदेश में लिफ्ट और एस्केलेटर के कारण बढ़ते हादसों पर अंकुश लगाने के लिए
योगी सरकार ने बड़ी पहल की है। इस पहल के अन्तर्गत शनिवार को विधान मंडल के दोनों
सदनों में लिफ्ट एंड एस्केलेटर बिल चर्चा के बाद ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इस
बिल में लिफ्ट व एस्केलेटर का रजिस्ट्रेशन, मेंटेनेंस,
हादसे
के दौरान संबंधित अधिकारी को तुरंत सूचना देने, हादसे में पीड़ित
व्यक्ति को क्षतिपूर्ति देने जैसे प्रावधान किए गए हैं।
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प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके
शर्मा ने इस अधिनियम के नियम व शर्तों की जानकारी दी। उन्होंने सदन को बताया कि इस
अधिनियम के अन्तर्गत में प्रदेश के सभी निजी और सार्वजनिक दोनों प्रकार के भवनों व
परिसरों को लाया गया है। निजी उपयोग में लगवाई गई लिफ्ट में इस अधिनियम की कुछ
शर्तों में से ढील दी गई है, लेकिन सार्वजनिक उपयोग में लगाई गई
लिफ्ट व एस्केलेटर का रजिस्ट्रेशन, मेंटेनेंस, हादसे के दौरान संबंधित अधिकारी को
तुरंत सूचना देने, हादसे में पीड़ित व्यक्ति को क्षतिपूर्ति देने जैसे
प्रावधान किए गए हैं। कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत औद्योगिक एरिया या परिसर
में लगी लिफ्ट या एस्केलेटर पर इस अधिनियम की शर्तें लागू नहीं होगी।
कानून बनने से हादसों में आएगी कमी
प्रदेश में बढ़ते शहरीकरण व नगरीकरण की वजह से
जरूरत के अनुसार बहुमंजिला इमारते और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बनाए जा रहे
हैं। इन इमारतों का उपयोग करने के लिए लिफ्ट और एक्सलेटर की भी मांग बढ़ी है।
बहुमंजिला इमारतों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में लिफ्ट लगाई जा रही
हैं और इनका उपयोग भी किया जा रहा है। इसके अलावा रेलवे स्टेशनों और तीर्थ स्थलों
पर भी लिफ्ट व एस्केलेटर की मांग बढ़ी है। जिसका उपयोग बच्चे, बुजुर्ग और युवा सभी कर रहे हैं। इस व्यवस्था के लागू होने से लिफ्ट संचालक
सावधानी बरतेंगे और हादसे भी कम होंगे।
जानिए किन राज्यों में पहले से है लागू
इस बिल को विधान सभा में प्रस्तुत करते हुए नगर
विकास मंत्री ने कहा कि अभी तक उत्तर प्रदेश में लिफ्ट और एस्केलेटर के उपयोग से सम्बंधित कोई भी
कानून नही था। बता दें कि देश के कुछ राज्यों में ये कानून पहले
से ही है। उन राज्यों में दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, पश्चिम बंगाल,
तमिलनाडु, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश
में लिफ्ट व एस्केलेटर के संबंध में उनके अधिनियम हैं।