Lucknow News: उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में एक सीट ऐसी है जहां अभी तक कमल नहीं खिला। समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाने वाली यह सीट है मैनपुरी। बता दें, 2014 के आम चुनावों में मोदी लहर में भाजपा ने अपने सहयोगी अपना दल सोनेलाल के साथ मिलकर 80 में से 73 सीटें जीती थीं।
वहीं जिन 7 सीटों पर कमल नहीं खिला उनमें मैनपुरी भी शामिल थी।
पिछले आम चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दल ने मिलकर 64 सीटें जीतीं। इस बार भाजपा ने 2014 में हारी हुई 7 में से 4 सीटों जिनमें कन्नौज, बदायूं, अमेठी और फिरोजबाद पर कमल खिला दिया।
मैनपुरी, आजमगढ़ और रायबरेली इन तीन सीटों पर इस बार भी उसे पराजय मिली। 2022 में आजमगढ़ सीट पर हुए उप-चुनाव में भाजपा ने आजमगढ़ सीट सपा से छीन ली।
नेहरू गांधी परिवार का गढ़ माने जाने वाली रायबरेली सीट 1996 और 1998 के चुनाव में भाजपा जीत दर्ज करा चुकी है। ऐसे में मैनपुरी इकलौती ऐसी सीट है जहां भाजपा अपनी स्थापना से लेकर 2019 के आम चुनाव तक एक बार भी नहीं जीती है।
मैनपुरी लोकसभा सीट को सपा का गढ़ कहा जाता है। सपा का गठन भले ही वर्ष 1992 में हुआ, परंतु मुलायम सिंह यादव के राजनीति में उभार के साथ ही यहां उनका वर्चस्व स्थापित हो गया। उनके समर्थन या पार्टी वाले प्रत्याशी ही सांसद बनते रहे।
फिर सपा के गठन के बाद मुलायम सिंह यादव ने इस सीट से मैदान में उतरकर वर्ष 1996 में सांसद बने। इसके बाद से सपा यहां अजेय रही है।
1996 में पहली बार मुलायम सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज कराई थी। उन्होंने भाजपा के उपदेश सिंह चौहान को हराया था। 1998 में सपा की ओर से बलराम यादव ने भाजपा के अशोक यादव को हराया था।
1999 में सपा के बलराम यादव और भाजपा के अशोक यादव के बीच मुकाबले में सपा हावी रही। 2004 और 2009 के चुनाव में मुलायम सिंह ने जीत दर्ज कराई। दोनों बार बसपा दूसरे स्थान पर रही। 2014 और 2019 के आम चुनाव में मुलायम सिंह यादव ही यहां से सपा का चेहरा रहे। मुलायम सिंह ने दोनों चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को हराया।
हालांकि पिछले चुनाव में सपा और भाजपा उम्मीदवार के बीच हार का अंतर पहले की तुलना बेहद कम रहा।
5 विधानसभा में किसका पलड़ा भारी-
मैनपुरी लोकसभा में 5 विधानसभा आती है जिनमें में मैनपुरी सदर, जसवंत नगर, करहल, किशनी, भोगांव विधानसभाएं शामिल है। करहल, किशनी और जसवंत नगर सपा और 2 विधानसभा मैनपुरी सदन और भोगांव भाजपा के खाते में हैं। करहल से सपा प्रमुख पूर्व मुख्ममंत्री अखिलेष यादव और जसवंत नगर से सपा के सीनियर नेता और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह विधायक हैं।
मैनपुरी सीट का समीकरण-
आपको बता दें, इस सीट पर सवा चार लाख यादव, करीब सवा तीन लाख शाक्य, दो लाख ठाकुर और एक लाख के करीब ब्राह्मण मतदाता हैं। वहीं, दो लाख दलित हैं, जिनमें से 1.20 लाख जाटव और बाकी धोबी और कटारिया समुदाय के हैं। एक लाख लोधी, 70 हजार वैश्य और एक लाख मतदाता मुस्लिम हैं। मैनपुरी सीट पर यादवों और मुस्लिमों का एकतरफा वोट सपा को मिलता रहा है।
भाजपा ने ताकत झोंकी-
भाजपा इस बार सपा को हराने के लिए अपनी ताकत झोंक रखी है। अनुमान लगाए जा रहे हैं कि भाजपा अपर्णा यादव को मैनपुरी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारेगी। अगर ऐसा होता है तो इस पर मैनपुरी लोकसभा सीट पर जेठानी और देवरानी के बीच मुकाबला होगा। वैसे पूरी तस्वीर उम्मीदवारों के ऐलान के बाद ही साफ होगी।
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