नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सोमवार शाम को नागरिकता संशोधन कानून लागू कर दिया है। इस कानून के लागू होने के बाद अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है। CAA का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इन 3 देशों से आए शरणार्थियों ने जश्न मनाया। सभी ने एक स्वर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए ‘भारत माता की जय और जय श्री राम’ के नारे लगाए।
CAA लागू होने के बाद विपक्षी गठबंधन के कई नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है। विपक्ष के कई नेताओं मे मोदी सरकार को घेरना प्रारंभ कर दिया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव, CM ममता बनर्जी, तमिलनाडु सीएम एके स्टालिन, असदुद्दीन ओवैसी सहित कई नेता तिलमिला उठे और अपनी खीझ मिटाने के लिए सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं।
CAA पर क्या बोले अखिलेश यादव
CAA लागू होने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर लिखा कि ‘जब देश के नागरिक रोज़ी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता क़ानून’ लाने से क्या होगा?जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है। भाजपा सरकार ये बताए कि उनके 10 सालों के राज में लाखों नागरिक देश की नागरिकता छोड़ कर क्यों चले गये। चाहे कुछ हो जाए कल ‘इलेक्टोरल बांड’का हिसाब तो देना ही पड़ेगा और फिर ‘केयर फ़ंड’ का भी।
ममता को भी नहीं भाया सीएए
CAA का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लोगों के साथ भेदभाव करता है तो वह इसका विरोध करेंगी। उन्होंने कहा , CAA-NRC बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए संवेदनशील है। साथ ही ममता ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले हम अशांति नहीं चाहते।
क्या बोले स्टालिन
तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन को भी CAAलागू होना रास नहीं आया। उन्होंने कहा कि अब, जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं का शोषण करते हुए, #CitizenshipAmendmentAct को निंदनीय तरीके से पुनर्जीवित करके अपने डूबते जहाज को बचाना चाहते हैं।
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औवैसी ने CAA को बताया विभाजनकारी
रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की घुसपैठ पर चुप्पी साधने वाले हैदराबाद सांसद असदुद्दीन औवैसी ने CAA पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘आप क्रोनोलॉजी समझिए, पहले चुनाव का मौसम आएगा, फिर सीएए के नियम आएंगे। सीएए पर हमारी आपत्तियां जस की तस हैं। सीएए विभाजनकारी है और गोडसे की सोच पर आधारित है जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहता था। सताए गए किसी भी व्यक्ति को शरण दें लेकिन नागरिकता धर्म या राष्ट्रीयता पर आधारित नहीं होनी चाहिए। सरकार को बताना चाहिए कि उसने इन नियमों को 5 साल तक क्यों लंबित रखा और अब इसे क्यों लागू कर रही है। एनपीआर-एनआरसी के साथ, सीएए का उद्देश्य केवल मुसलमानों को लक्षित करना है, इसका कोई अन्य उद्देश्य नहीं है। सीएए एनपीआर एनआरसी का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरे भारतीयों के पास फिर से इसका विरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।