अयोध्या। 22 जनवरी को होने वाले श्रीराम जन्मभूमि
के नवीन श्रीराम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अनुष्ठान कार्य के लिए मंदिर
के ईशान कोण में स्थल बनाने का काम शुरू हो गया है। शुक्रवार को काशी के मुख्य
यज्ञाचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के वैदिक आचार्यों का एक दल रामनगरी पहुंच गया है।
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आराध्य देवी मां सरयू का पूजन से होगी शुरूवात
श्रीराम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान कार्य में लगे वैदिक
विद्वान लक्ष्मीकांत दीक्षित के पुत्र अरुण दीक्षित ने बताया है कि शुक्रवार को अनुष्ठान
के लिए पूरे देश के अलग-अलग धार्मिक स्थलों से जुड़े 121 वैदिक आचार्य को चयनित
किया गया है। प्राण प्रतिष्ठा के लिए सबसे पहले आराध्य देवी मां सरयू का पूजन किया
जाएगा। पिछले तीन दिन से परिसर में अनुष्ठान के लिए विभिन्न आकार के हवन कुंडों को
तैयार करने का कार्य किया जा रहा है।
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22 जनवरी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा पूजन की शुरुआत 16
जनवरी से होगी। 16 जनवरी से पूजन किया जाएगा। पूजा आयोजन के लिए 9
हवन कुंड को तैयार किया जा रहा है। हवन कुंड निर्माण कार्य में ईंट, बालू, मिट्टी, गोबर, पंचगव्य और सीमेंट आदि जैसी सामग्रियों का प्रयोग किया जा रहा
है। पूजन के लिए पांच वेदियां भी बनाई जा रही है। पद्मिनी वेदी में भगवान की
प्रतिमा के साथ पूजन के संस्कार होंगे। इस वेदी में विराजमान रामलला की मूर्ति ही
रखी जाएगी। तांबे के 200 कलश से पवित्र नदियों के जल के साथ प्रभु राम का अभिषेक
होगा।
भारत के इतिहास में 22 जनवरी 2024 का दिन स्वर्णिम
अक्षरों में लिखा जाएगा। राम भक्तों के लिए बहुत ही खास और ऐतिहासिक दिन होने वाला
है। सभी रामभक्त इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनेंगे। बता दें कि, 22 जनवरी 2024 को श्रीराम
जन्मभूमि अयोध्या में 70 एकड़ भूमि पर बने भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा
होनी है। इसको लेकर भक्तों में मंदिर के उद्घाटन की काफी उत्सुकता है। साथ ही
अयोध्या के अलावा पूरे देश के कोने-कोने में हर्षोल्लास देखने को मिल रहा है। राम
मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम हफ्ते भर चलेगा। वहीं, रामलला की मूर्ति को
गर्भगृह में स्थापित करने का समय सबसे अहम होगा।