UP News: UP ATS ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (ISI) से मिलकर देश विरोधी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने वाले वांटेड तहसीम उर्फ
मोटा को मुजफ्फरनगर के बुढाना से गिरफ्तार किया है। तहसीम मूल रूप से शामली जनपद का रहने वाला है। पूछताछ में उसने बताया कि वह और उसका भाई कलीम पाकिस्तान
आते-जाते थे। पाकिस्तान में उनके ISI के कुछ हैंडलर से जान पहचान हो गई थी।
गुरुवार को ATS के अधिकारियों ने बताया कि अगस्त 2023 में शामली
कोतवाली क्षेत्र से 6 लाख के नकली नोट के साथ इमरान नाम के एक अपराधी को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में
तहसीम उर्फ मोटा के खिलाफ भी अभियोग
पंजीकृत किया गया था।
वहीं इस दौरान तहसीम के भाई कलीम को भी गिरफ्तार किया गया था। जिसका सीधा संबंध ISI से होना पाया गया था।
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उस समय तहसीम फरार चल रहा था। पुलिस लगातार उसकी तलाश कर रही थी।
अधिकारियों ने बताया कि
तहसीम और कलीम पाकिस्तान आते-जाते थे। पाकिस्तान में उनकी ISI के कुछ हैंडलरों से जान पहचान थी।
जिन्होंने दोनों भाइयों को रुपयों का लालच देकर कहा कि तुम लोग भारत में जिहाद
फैलाओ, हम
तुम्हें असलहा, बारूद के
साथ आर्थिक मदद भी देंगे।
साथ ही भारत में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए
लोगों को तैयार करो।
गिरफ्तार तहसीम और कलीम फर्जी सिम कार्ड से व्हाट्सऐप चलाते थे। इतना ही नही बल्कि भारत में बैठकर ISI एजेंट दिलशाद उर्फ मिर्जा से संपर्क कर
सवेंदनशील सूचनाएं पाकिस्तान भेजते थे।
2002 में तहसीम पान-कत्था और मसाला
बेचने पाकिस्तान गया था। इसके बाद वह ISI के साथ मिलकर फेक करेंसी और ड्रग्स की
भारत में सप्लाई करने लगा।
फेक करेंसी की तस्करी-
लाहौर में हमीदा के यहां रहते हुए तहसीम की मुलाकात लाहौर के
ड्राई फूड की दुकान करने वाले इकबाल काना के सहयोगी केसर हुई। केसर ने उसे नकली नोट सप्लाई करने के काले
धंधे में शामिल कर लिया। केसर के माध्यम
से तहसीम की जान पहचान दिलशाद मिर्जा से हुई। दिलशाद ने उसे देश विरोधी गतिविधियों
में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
पाकिस्तान से वापस आने के बाद इकबाल काना और केसर
ने तहसीम को फोन कर नकली करेंसी भेजना शुरू कर दिया। वह हर बार 2 से 7 लाख रुपए भेजते थे।
तहसीम कभी दिल्ली तो कभी अमृतसर से इसे रिसीव करता था।
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