बेंगलुरु: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को विधान परिषद में बड़ा झटका लगा है। विधानसभा में पारित होने के बाद ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक, 2024’ विधान परिषद में खारिज हो गया। विधेयक में प्रस्ताव था कि 10 लाख से 10 करोड़ के बीच राजस्व वाले मंदिरों से सरकार 5 प्रतिशत, जबकि 1 करोड़ से अधिक राजस्व वाले मंदिरों से प्रदेश सरकार 10 प्रतिशत कर वसूल करेगी। विधानसभा में इस बिल के पास होने के बाद से ही भाजपा बिल का विरोध कर रही थी।
मंदिरों से टैक्स वसूली वाला बिल कर्नाटक विधानसभा में पास हो जाने के बाद सरकार ने इसे विधान परिषद के पटल पर रखा था। लेकिन यहां सरकार के पास बहुमत नहीं होने के चलते बिल खारिज हो गया। विधान परिषद में महज 7 सदस्यों ने इस बिल का समर्थन किया, जबकि 18 सदस्य बिल के विरोध में खड़े नजर आए। 75 सदस्यों वाले कर्नाटक विधान परिषद सदन में BJP के 34, कांग्रेस के 28 व जनता दल सेकुलर के 8 सदस्य हैं।
60 करोड़ सरकार को मिलता टैक्स
विधान परिसर में ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक, 2024’ का प्रस्ताव रखते हुए परिवहन एवं मुजराई मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा कि वर्तमान नियमों के अनुसार, सरकार को मंदिरों से 8 करोड़ रुपये का टैक्स मिल रहा है। रेड्डी ने कहा, इस बिल के पास हो जाने के बाद सरकार को 60 करोड़ का टैक्स मिलेगा। मंत्री रामलिंगा ने दावा किया कि मंदिरों से मिलने वाले टैक्स को ‘सी’ ग्रेड वाले मंदिरों के विकास में लगाया जाएगा। साथ ही पुजारियों को सुविधाए प्रदान की जाएंगी।
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सदन में लगे ‘जय श्रीराम’ के नारे
बीते बुधवार को विधानसभा में यह बिल पारित हो गया था। इसके बाद इसे विधान परिषद के समक्ष इस बिल के प्रस्ताव को रखा गया, जहां यह खारिज हो गया। विधान परिषद में यह बिल खारिज होने के बाद भाजपा सदस्यों ने सदन के अंदर ‘जय श्रीराम’के नारे लगाए। भाजपा का इस बिल को लेकर कहना था कि कांग्रेस सरकार मंदिरों से कर वसूल कर अपना खजाना भरना चाहती है।