मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला का ASI सर्वे शुक्रवार 22 मार्च से शुरू होगा। हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के फैसले के बाद आर्किलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का दल भोजशाला में सर्वे करेगा। दरअसल हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने पिछले हफ्ते ही भोजशाला का ASI सर्वे करने का आदेश दिया था।
‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ की ओर से दाखिल हुई थी याचिका
11 मार्च को हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने कहा था कि ज्ञानवापी के बाद अब मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला का ASI सर्वे होगा। इस मामले में सामाजिक संगठन ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ की ओर से याचिका दाखिल की गई थी। ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ ने करीब 1,000 साल पुराने भोजशाला परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण या ‘ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार’ यानि GPR सर्वेक्षण कराने की मांग की थी।
‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ द्वारा हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए आवेदन दिया था, जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ASI को वैज्ञानिक सर्वे करने का आदेश दिया था। वहीं सर्वे करने से पहले ASI ने धार प्रशासन और एसपी से पर्याप्त सुरक्षा बल उपलब्ध कराने को कहा है, ताकि सर्वे के कार्य में किसी तरह की कोई बाधा ना आ सके।
क्या है पूरा मामला ?
हिंदू संगठनों के अनुसार,, धार में स्थित कमाल मौलाना मस्जिद दरअसल मां सरस्वती मंदिर भोजशाला है, जिसे साल 1034 में राजा भोज ने संस्कृत की पढ़ाई के लिए बनवाया था,, लेकिन बाद में मुगल आक्रमणकारियों ने उसे तोड़ दिया था।
हिंदू संगठनों ने हाईकोर्ट में कहा था कि भोजशाला में मां सरस्वती का मंदिर है। अपने दावे को मजबूत करने के लिए हिंदू पक्ष की ओर से हाईकोर्ट में परिसर की रंगीन तस्वीरें भी पेश की गई थीं। भोजशाला केंद्र सरकार के अधीन ASI का संरक्षित स्मारक है।
एक आदेश के अनुसार, हिंदुओं को यहां प्रत्येक मंगलवार पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह पर नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है। मुस्लिम समुदाय इस परिसर को कमाल मौला की मस्जिद बताता है। मंगलवार और शुक्रवार के अलावा बाकी अन्य दिन भोजशाला,, पर्यटकों के लिए सशुल्क खुली रहती है।