Lucknow News- इस
वर्ष 34 अज्ञात नायकों समेत 110 लोगों को अपने-अपने कार्य क्षेत्र में उल्लेखनीय
काम करने के लिए ‘पद्म‘ पुरस्कार दिया जाएगा। जिनमें उत्तर
प्रदेश की भी 12 विभूतियां हैं,
जिन्हें सम्मानित किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी
ने इन सभी विभूतियों को शुभकानाएं दी हैं। उल्लेखनीय है कि पद्मश्री सम्मान हर वर्ष
मार्च या अप्रैल महीने में राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है।
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गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि प्रतिष्ठित ‘पद्म पुरस्कार के अंतर्गत पद्मश्री
सम्मान हेतु घोषित हुई उत्तर प्रदेश की 12 विभूतियों को हार्दिक बधाई! इन
विभूतियों ने कला, साहित्य, विज्ञान, स्वास्थ्य व खेल क्षेत्रों में अपने असाधारण और उत्कृष्ट योगदानों से
विश्व में भारत को गौरवभूषित किया है। हमें आप सभी पर गर्व है।
आइए जानते हैं इन सभी विभूतियों के बारे में
पुरस्कार पाने वालों में से उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के रहने वाले 74
वर्षीय बाबू राम भी हैं। इन्हें पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके जटिल पीतल की
कलाकृतियां बनाने में छह दशकों से भी अधिक का अनुभव है। विश्व स्तर पर उन्होंने 40
से भी अधिक प्रदर्शनियों में अपने उत्कृष्ट कार्य का प्रदर्शन किया है। नए कारीगरों में खासतौर
से कुष्ठ रोगियों को उन्होंने प्रशिक्षण दिया है। लगभग 1000 लोगों को वे अब तक
प्रशिक्षण दे चुके हैं। आर्टिसन लाइट संस्था के नाम से वे कारीगर समुदाय की आर्थिक
सहायता भी करते हैं। उन्हें ब्रास के बाबू के नाम से भी संबोधित भी किया जाता है।
डॉ. राम चेत चौधरी ने कालानमक धान को दिया
नवजीवन
कालानमक धान को नवजीवन देने वाले कृषि
वैज्ञानिक 79 वर्षीय डॉ. रामचेत ने पद्मश्री सम्मान से गोरखपुर का मान बढ़ाया है। डॉ.
रामचेत ने महात्मा बुद्ध के महाप्रसाद को संरक्षित करने के लिए लगभग 30 वर्ष तक
संघर्ष किया। उनके प्रयास से आज पूर्वांचल के 11 जनपदों में 80 हजार हेक्टेयर में
कालानमक धान की पैदावार हो रही है। इन्होंने कृषि पर 50 से अधिक पुस्तकें भी लिखीं
हैं।
मिर्जापुर के वासलीगंज की आर्य कन्या इंटर
कॉलेज में संगीत की प्रवक्ता पद से अवकाश प्राप्त कर चुकीं प्रख्यात कजरी गायिका उर्मिला
श्रीवास्तव को भी पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा से जनपद में हर्ष का वातावरण है।
12 वर्ष की उम्र से मोहल्ले के नाग पंचमी के मेले में मिर्जापुरी कजरी सुनकर बड़ी
हुई उर्मिला की कजरी ने खाड़ी देशों में भी बहुत पहचान बनाई है। लोकगीत, भोजपुरी, मुख्यत मिर्जापुरी कजरी, देवी गीत, दादरा, कहरवा, पूर्वी, चैती, होली, झूमर, खेमटा, बन्नी, सोहर
विधा में भी उन्होंने महारत हासिल की है।
कला के क्षेत्र में इन विभूतियों को मिलेगा
पद्मश्री सम्मान
मिर्जापुर के खलील अहमद मास्टर एक दरी कालीन
बुनकर हैं। इन्होंने सौ बुनकरों को बुनाई का प्रशिक्षण दिया है।
नसीम बानो एक चिकनकारी कारीगर हैं। इन्होंने
बारीक हस्तकला और कढ़ाई में 45 वर्षों की विशेषज्ञता हासिल की है।
वाराणसी के 84 वर्षीय गोदावरी सिंह एक लकड़ी
खिलौना निर्माता है। लकड़ी के लैकरवेयर और खिलौने का प्रचार और संरक्षण करने में
इनको पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।
बनारस घराने के प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय
गायक सुरेंद्र मोहन मिश्र को मरणोपरांत कला के क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान से
सम्मानित किया जाएगा।