मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ ने पीलीभीत के मुस्तफाबाद से गांगेय डॉल्फिन को उत्तर प्रदेश के जलीय
जीव का दर्जा देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि तालाबों और नदियों को शुद्ध
रखने का प्रयास करना चाहिए। गांगेय डाल्फिन प्रदेश में गंगा, यमुना, चम्बल घाघरा, राप्ती और गेरूआ नदियों में पाई जाती
हैं। एक अनुमान के अनुसार यूपी में गांगेय डाल्फिन की संख्या लगभग 2000 है।
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मुख्यमंत्री योगी ने
कहा है कि वन्य जीवों को लेकर किस प्रकार का व्यवहार होना चाहिए, इसका प्रशिक्षण यहां के लोगों को दिया
जाना चाहिए। टाइगर रिज़र्व से जुड़े आरक्षित क्षेत्र के हर गांव के लोगों को
ट्रेनिंग देकर उन्हें गाइड के रूप में मान्यता देनी चाहिए, जिससे लोगों को रोजगार मिल सके। इसमें
स्थानीय नागरिकों को प्राथमिकता देंगे तो उन्हें रोजगार मिलेगा। पूरे गांव में
जागरूकता पैदा होगी। सीएम योगी ने कहा कि हमें यह भी देखना होगा,, जो पर्यटक या स्थानीय लोग यहां आते हैं।
वह प्लास्टिक का उपयोग करके कोई भी ऐसा कार्य न करें, जिससे जल और प्रकृति प्रदूषित हो।
दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को
पीलीभीत में थे। उन्होंने मुस्तफाबाद गेस्ट हाउस जाकर वन्य जीव सप्ताह का समापन
किया। इस दौरान सीएम योगी ने पीलीभीत
को 248 करोड़ की 26 परियोजनाओं की सौगात दी।
पौराणिक ग्रंथों में
है गांगेय डॉल्फिन का जिक्र
गांगेय डॉल्फिन विश्व
में पाई जाने वाली दुर्लभ डॉल्फिन की प्रजातियों में से एक है। गांगेय डॉल्फिन का
वर्णन पौराणिक ग्रंथों एवं ऐतिहासिक पुस्तकों में भी माना जाता है। स्तनधारी जीव
होने के कारण यह नदी की सतह पर आकर सांस लेती हैं। सांस लेने की ध्वनि के कारण ही
इसको आमतौर पर सूंस या सुसु के नाम से भी जाना जाता है।
कम हो रही है गांगेय
डॉल्फिन की संख्या
किसी समय बड़ी संख्या
में पाई जाने वाली गांगेय डॉल्फिन अब घटकर केवल 3500 तक ही बचीं हैं। इसका मुख्य कारण
प्रतिदिन नदियों का घटता जलस्तर और प्रदूषण है।