Saharanpur- देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून बनना चाहिए। बढ़ती हुई मुस्लिम जनसंख्या को इस कानून से रोका जाए। अन्तर्राष्ट्रीय विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय बजरंग दल यह कानून लाकर बढ़ती हुई मुस्लिम जनसंख्या रोकने का काम करेगा। यह बात बुधवार को सहारनपुर पहुंचे प्रवीण भाई तोगड़िया ने कही। पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा पहले से ही संकल्प था कि अयोध्या, मथुरा और विश्वनाथ! तीनों लेंगे एक साथ!! प्रवीण तोगड़िया बोले कि, अब काशी मथुरा का मंदिर भी बनना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि काशी मथुरा के लिए हिंदुओं को राम मंदिर की तरह रक्त ना बहाना पड़े ये भी प्रार्थना करते हैं।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत हिंदू राष्ट्र है और रहेगा। उन्होंने कहा कि मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाए जाएं, लेकिन मंदिरों में आरती होती है, इसलिए मंदिरों से लाउडस्पीकर नहीं हटने चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत की सेना भी इजरायल की तरह ही होनी चाहिए। इजरायल जैसी सेना बनाकर भारत में कोई पैलेस्टाइन खड़ा नहीं होने दिया जाएगा।
इससे पहले प्रवीण भाई तोगड़िया का सहारनपुर में फूल मालाओं से स्वागत किया गया और भारत माता की जय के नारे लगाए गए। छह सदस्यों का आयुष्मान कार्ड बनाने की योजना पर प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें भी मिली है। यह नियम गलत है। ऐसा होने पर इस योजना का पूरा लाभ मुस्लिमों को ही मिलेगा। इसलिए देश के प्रधानमंत्री से बात करके इस नियम में बदलाव कराएंगे।
यह भी पढ़ें- वृंदावन: संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्वामी प्रेमानंद जी महाराज से लिया आशीर्वाद, दोनों के बीच हुई आध्यात्मिक चर्चा
क्या है जनसंख्या नियंत्रण कानून (What Is Population Control Law)?
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 140 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं। यह संख्या भारत को दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश बनाती है। 2019 का जनसंख्या नियंत्रण बिल (Population control Law) कहता है कि प्रत्येक कपल टू चाइल्ड पॉलिसी को अपनाएंगे यानि की दो से अधिक संतान नहीं होनी चाहिए। हालांकि 2022 में इसे वापस ले लिया गया था। इस पॉलिसी का उद्देश्य शैक्षिक लाभ, मुफ्त स्वास्थ्य सेवा, बेहतर रोजगार के अवसर, होम लोन और टैक्स कट के माध्यम से इसे अपनाने को प्रोत्साहित करना था।
क्या कहता है संविधान?
1969 के डिक्लेरेशन ऑन सोशल प्रोग्रेस एंड डेवलपमेंट का अनुच्छेद 22 यह सुनिश्चित करता है कि कपल को यह स्वतंत्रता है कि उनके कितने बच्चे हो वे इस बात का निर्णय ले सकते हैं। बच्चों की संख्या को नियंत्रित करना अनुच्छेद 16 यानी पब्लिक रोजगार में भागीदारी और अनुच्छेद 21 यानी जीवन की सुरक्षा और स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।
क्या हैं संवैधानिक चुनौतियां?
टू चाइल्ड पॉलिसी को आजादी के बाद से अब तक 35 बार संसद में पेश किया जा चुका है। अगर यह कानून लागू किया जाता है तो कानून को तलाकशुदा जोड़ों के अधिकारों के साथ-साथ इस्लामी धर्म को भी ध्यान में रखना होगा। इससे पहले जब यह बिल पेश किए गए तो इन बिलों में इन विशेषताओं का अभाव था। साथ ही आम जनता ने इसकी जमकर आलोचना भी की।
राज्यों का इस पर क्या है स्टैंड?
2017 में असम असेंबली ने पॉप्युलेशन एंड वुमन एंपावरमेंट पॉलिसी बिल पास किया। इस पॉलिसी के अनुसार वही उम्मीदवार सरकारी नौकरी के योग्य होंगे जिनके दो बच्चे होंगे। इसके साथ ही जो पहले से ही सरकारी नौकरियों में हैं उन्हें भी टू चाइल्ड पॉलिसी को अपनाने का निर्देश दिया गया था। इसी तरह 2021 में उत्तर प्रदेश के लॉ कमीशन ने एक प्रस्ताव पेश किया था जिसके अनुसार दो से अधिक बच्चे वालों को किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित रखा जाएगा। यह ड्राफ्ट बिल अभी विचाराधीन स्थिति में है।
क्या हो सकता है असर?
इस कानून के पास होने पर लिंग-चयन और असुरक्षित गर्भपात जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहन मिल सकता है। इसके मुस्लिम समुदाय में इस कानून को लेकर पहले से ही आशंका है। भारत में विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय में इस कानून को लेकर स्वीकृति भी नहीं है। इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना और उसे सफलता पूर्वक लागू करना सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। हालांकि कई मुस्लिम देश बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए यह कानून लागू कर चुके हैं। ईरान जैसे कट्टरपंथी मुस्लिम देश ने कुछ समय के लिए इस कानून को लागू किया। तो भारत जैसे हिंदू बाहुल्य देश में यह कानून लागू करना सम्भव क्यों नहीं? हालांकि केंद्र सरकार जनसंख्या विस्फोट रोकने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रही है। यदि सरकार ऐसा करने में सफल होती है तो इसके दूररगामी परिणाम काफी सुखद होंगे।
will put a check on increasing muslim population with population parveen bhai togadiya in saharanpur