उत्तर प्रदेश में अब पांच प्रतिशत उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर के साथ ही चेक मीटर के तौर पर साधारण मीटर भी लगाए जाएंगे। यह मीटर तीन महीने तक लगा रहेगा। दोनों के मिलान में अगर कोई अंतर आया, तो स्मार्ट मीटरों को बदलने का आदेश जारी किया जाएगा। इसको लेकर उपभोक्ता परिषद पिछले एक साल से अपनी लड़ाई लड़ रहा था। करीब एक महीने पहले केंद्र सरकार ने कुछ अधिकारियों को उत्तर प्रदेश के कुछ उपभोक्ताओं के यहां भेजा गया था, जिसके बाद ही ये निर्णय लिया गया।
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इस मुद्दे पर उपभोक्ता परिषद ने पांच प्रतिशत की सीमा को कम बताया है। उत्तर प्रदेश में पूर्व में एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड के खराब अनुभव को आधार बनाकर केंद्रीय ऊर्जा सचिव पंकज अग्रवाल के पास फिर से जनहित प्रस्ताव भेजा गया है। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि यह सीमा उत्तर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के हित में उनकी संतुष्टि को ध्यान में रखकर 25 प्रतिशत तक बढ़ाई जाए। प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की शिकायत रहती है कि स्मार्ट मीटर या स्मार्ट प्रीपेड मीटर तेज चल रहा है, जिसको लेकर विगत में उत्तर प्रदेश में काफी हो हल्ला भी मचा। उपभोक्ता परिषद ने इसके लिए काफी लंबी लड़ाई भी लड़ी।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव पंकज अग्रवाल को पुनः ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के क्रम में यह प्रस्ताव भेजा है। उसमें लिखा है कि उत्तर प्रदेश के मामले में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय पांच प्रतिशत की सीमा को बढ़ाकर 25 प्रतिशत करें। उत्तर प्रदेश में एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड द्वारा, जो 12 लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए थे। उसका अनुभव प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के हित में नहीं रहा है। इसलिए कम से कम 25 प्रतिशत विद्युत उपभोक्ताओं के घर में स्मार्ट मीटर के साथ-साथ साधारण मीटर लगाकर उपभोक्ताओं की संतुष्टि की गणना की जाए।