नेपाल सीमा से सटे यूपी के पीलीभीत जिले में 3,000 हजार से अधिक सिखों का मतांतरण कर उन्हें ईसाई बनाया जा चुका है. पंजाब की तरह यहां भी मतांतरण का यह खेल पूरी सुनियोजित तरीके से चल रहा है. जिसमें सिखों को लालच, अंध विश्वास और यहां तक की भय दिखाकर उनका मतांतरण कराया जा रहा है. इतनी बड़ी संख्या में सिखों के मतांतरित होने से हड़कंप मचा हुआ है. गुरुद्वारा सिख कमेटी ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रशासन से कार्रवाई की गुहार लगाई है.
हालांकि मतांरण का यह क्रम सिखों और पीलीभीत तक की सीमित नहीं है. नेपाल सीमा से सटे यूपी के अन्य जिलों में भी गरीब व दलित समाज के लोगों को बरगलाकर ईसाई मत में मतांतरित किया जा रहा है. सिर्फ नेपाल से ही पादरी भारत नहीं आते, बल्कि भारत से नेपाल जाकर कई पास्टर्स वहां के हिंदुओं को ईसाई बना रहे हैं. यानी सीमा के दोनों ओर मिशनरी अपने मिशन में जुटे हैं.
3,000 हजार से ज्यादा सिखों का मतांतरण
यूपी के पीलीभीत में बड़ी संख्या में सिखों का मतांतरण पंजाब की तर्ज पर हो रहा है. यह जिला नेपाल सीमा से सटा हुआ है. तराई क्षेत्र में होने के चलते इलाका पिछड़ेपन व गरीबी का शिकार है. जिसका फायदा ईसाई मिशनरियां उठा रही हैं.
पीलीभीत जिले के बेल्हा क्षेत्र स्थित नानक नगरी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने जिले के डीएम और एसपी को एक पत्र सौंपा है. जिसमें बताया गया है, 3,000 हजार सिख ईसाई मत अपना चुके हैं. प्रबंधक कमेटी के अनुसार, बेल्हा, बमनपुरी, भागीरथ सिंघाड़ा और टाटरगंज जैसे सिख बहुल गांवों में ईसाई मिशनरी अपनी गतिविधियां चला रहा है.
कमेटी ने दावा किया है यह सभी गांव सिख बहुल हैं, जहां करीब 22 हजार की आबादी में 10 फीसदी से ज्यादा अपना धर्म बदल चुके हैं. कमेटी का यह भी कहना है कि लालच और अंधविश्वास के अलावा जबरन भी सिखों का मतांतरण कराया जा रहा है.
नेपाल से आते हैं पादरी
पीलीभीत नेपाल सीमा से सटा हुआ जिला है. जिसका फायदा उठाकर ईसाई मिशनरी यहां के सिख बाहुल्य गांवों पहले अपना संपर्क बढ़ाते हैं. फिर चंगाई सभा का आयोजन किया जाता है. सभा में आने वाले लोगों को ईसाई मत अपनाने के लिए बीमारियों का इलाज, विभिन्न प्रकार के लालच और अंध विश्वास का सहारा लिया जाता है. हालांकि जब बात फिर भी नहीं बनती तो, मासूम और गरीब लोगों को भय दिखाया जाता है. नेपाल के साथ-साथ जालंधर, लुधियाना और पंजाब से भी कई पास्टर आते हैं.
चंगाई सभा के नाम पर सिखों को बनाया जाता ईसाई
ईसाई मिशनरी प्रार्थना के नाम पर ‘चंगाई सभा’ का अयोजन करते हैं. फिर सभा में बड़ी संख्या में लोगों को एकत्रित किया जाता है. चंगाई सभा में एकत्रित सिखों का मतांतरण कर उनको ईसाई बनाया जाता है. हालांकि अब मतांतरण का खेल काफी आगे निकल चुका है. गुरुद्वारा कमेटी से जुड़े लोग बताते हैं पहले सिखों को ईसाई बनाया जाता है…फिर उन्हें, ईसाई से पास्टर बनाया जाता है. बाद में वहीं सिख पास्टर बनकर सिखों का ही मतांतरण करते हैं.
लालच और अंध विश्वास का सहारा
ईसाई मिशनरियां सिखों को मतांतरित करने के लिए तरह-तरह के प्रलोभल देती हैं. गुरुद्वारा कमेटी के प्रबंधक हरपाल सिंह का कहना है कि सिखों को ईसाई बनाने के लिए उन्हें जमीन. हैंडपंप, रोजगार व नकद रुपये देने का प्रलोभन दिया जाता है. यही नहीं अंध विश्वास के जरिए गंभीर से गंभीर बीमारियों को ठीक करने का भी भरोसा दिया जाता है. इस प्रकार के प्रलोभनों में फंसाकर लोगों सिख से ईसाई बनाया जाता है.
मतांतरण के बाद भी पगड़ी और नाम न बदलने की छूट
ईसाई मिशनरी सिखों का मतांतरण करने के बाद, उन्हें अपना नाम न बदलते व पगड़ी पहनने को कहते हैं. ताकि वह पगड़ी वाले सिख बनकर अपने समाज के अन्य लोगों का भी मतांतरण करा सकें. ईसाई मिशनरी से जुड़े लोग यह सब काम बड़ी चालाकी के साथ करते हैं. गुरुद्वारा कमेटी के प्रबंधक हरपाल सिंह बताते हैं कि ईसाई पास्टर सिखों का मतांतरण करने के लिए उन्हें उनकी की संस्कृति में मर्ज करने की कोशिश करते हैं. सिख धर्म की तरह ही प्रभात फेरी और नगर कीर्तन निकालते हैं. चंगाई सभाओं में सिखों की तरह अरदास होती है. साथ ही गुरुद्वारे की तरह की एडमोस्फेयर दिया जाता है. ताकि मतांतरण करने वाले सिखों को अलग एहसास भी न हो और वह क्रिश्चियन बन जाएं.
पहले परिवार के मुखिया का कराया जाता है मतांतरण
ईसाई मिशनरी अपनी रणनीति के तहत सबसे पहले परिवार के मुखिया या फिर किसी वरिष्ठ सदस्य का मतांतरण कराते हैं. फिर धीरे-धीरे उसके पूरे परिवार को ईसाई मत में परिवर्तित कर दिया जाता है. जब यह संभव नहीं हो पाता तो दबंग पास्टर पीड़ितों पर जबरन मतांतरण के लिए दबाव बनाते हैं. पीलीभीत की ही रहने वाली पीड़िता मनजीत कौर बताती हैं कि उनके पति को दबंग प्रधान सिख से ईसाई धर्म में परिवर्तित करा दिया था. लेकिन जब उसने खुद व बच्चों को ईसाई बनाने से मना कर दिया, तो दबंग मिशनरियों ने उसके गन्ने व अन्य हरी फसल की जुताई कर उसे नष्ट कर दिया. पीड़िता मनजीत ने बताया कि दबंग पास्टर ने बच्चों को मारापीटा साथ ही मतांतरण के लिए राजी कराने के लिए 2 लाख रुपये नकद और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का भी वादा किया था.
नेपाल सीमा से सटे यूपी के जिलों में ईसाई मिशनरियों की नजर
ईसाई मिशनरियां जहां पीलीभीत में सिखों का मतांतरण करवाने में जुटी हैं, वहीं उनकी नजर नेपाल सीमा से सटे यूपी के जिलों पर भी है. क्योंकि यह स्थान उनके लिए सबसे सुरक्षित हैं. नेपाल से यहां पास्टर्स आते हैं और हिंदुओं का मतांतरण कराकर वापस चले जाते हैं. जिसके चलते उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी नहीं होती. पिछले कुछ समय में नेपाल सीमा से सटे कुशीनगर, बहराइच, श्रावस्ती में ईसाई मिशनरियों द्वारा कई हिंदुओं का मतांतरण कराने की घटना सामने आ चुकी है.
कुशीनगर में 27 हिंदुओं को मतांतरण
नेपाल सीमा से सटे यूपी के कुशीनगर जिले में लंबें समय से मतांतरण का खेल चल रहा है. यहां 2014 में सामूहिक रूप से 27 हिंदुओं का मतांरण कराया गया था. मतांरण करने वालों से ईसाई मिशनरी से जुड़े लोग संपर्क में थे. गांव में दिलीप गुप्ता नामक एक का एक व्यक्ति भोले-भाले लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित करता था.
2014 में बहराइच जिले के कमलपुरी गांव में 70 लोगों ने एक साथ ईसाई मत अपना लिया. मतांतरण करने वाले अधिकांश लोग दलित समाज से आते थे. इन लोगों का मतांतरण कराने के पीछे ईसाईयों के संगठन इंडिया होप सेंटर के कार्यकर्ता का नाम सामने आया था. यह लोग भोले-भाले हिंदुओं पर ईसाई धर्म अपनाने का दबाव बना रहे थे.
श्रावस्ती में चंगाई सभा में मतांतरण का खेल
बीते मार्च में श्रावस्ती जिले में ईसाई मिशनरियों द्वारा भगवानपुर बनकट गांव में प्रार्थना सभा की आड़ में लोगों का मतांतरण कराने का बड़ा मामला सामने आया था. यहां श्रावस्ती के साथ-साथ नेपाल सीमा से जुड़े बलरामपुर, बहराइच, गोंडा के हिंदू भी आते थे, जिनको लालच देकर उनका मतांतरण कराया जाता था.