कुशीनगर: भारतीय सेना ने 22 अप्रैल को पहलगाम हुए आतंकी हमले का जवाब देने के लिए 6-7 मई की रात को पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया. इस कार्रवाई भारत की ओर से POK और पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को चिन्हित कर उन्हें ध्वस्त किया था. साथ ही 100 से अधिक आतंकवादी भी मारे गए थे. इस ऑपरेशन से UP के कुशीनगर जिले की गर्भवती महिलाएं इस कदर प्रभावित हुईं कि उन्होंने अपने होने वाली नवजात बेटियों का नाम ‘सिंदूर’ रख दिया. इन महिलाओं का कहना है कि उन्होंने अपनी नवजात बच्चियों का नाम सिंदूर रखकर भारतीय सेना का सम्मान देकर देशभक्ति की मिसाल पेश की है.
ऑपरेशन सिंदूर-
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को घूमने आए हिंदू पर्यटकों से धर्म पूछकर आतंकियों ने उनको गोली मार दी थी. इस हत्याकांड में 26 लोगों को उनकी पत्नियों और बच्चों के सामने जान से मार दिया गया था. साथ ही महिलाओं से कहा था कि मोदी को बता देना. इस आतंकी हमले के 15वें दिन 6-7 मई की रात को भारत ने POK और पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की. साथ ही 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया. PM मोदी ने इस कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम दिया और इसे पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए मृतकों की पत्नियों को समर्पित किया.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ से पाकिस्तान ने जानी भारत की ताकत-
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद पाकिस्तान की सेना ने पहली बार माना कि भारत के साथ हुए युद्ध में अभी तक उसके करीब 11 सैन्य अधिकारी मारे गए और 78 से ज्यादा घायल हुए हैं. जो दुश्मन देश पाकिस्तान अभी तक खुद को भारत के साथ हुए संघर्ष में खुद की जीत का दावा करते नहीं थक रहा था, वो आज कबूल कर रहा है कि भारत के साथ हुई जंग में उसके करीब 11 सैन्य अधिकारी अल्लाह को प्यारे हो गए हैं. पाकिस्तान की मीडिया दिखा रही है कि भारत के भारतीय आर्मी के हमलों में पाकिस्तान की रक्षा करते हुए उसके करीब 11 सैनिक मारे गए हैं, जबकि 78 सैनिक भी घायल हो गए हैं. वहीं, भारत की कार्रवाई में पाकिस्तान की 7 महिलाएं, 15 बच्चे और 40 नागरिक मारे गए हैं. इसके अलावा करीब 121 लोगों के घायल होने की भी बात सामने आई है.
बच्चियों की माओं ने कहा बेटियों का नाम पीढ़ियों तक रहेगा याद-
कुशीनगर के बच्चियों को जन्म देने वाली महिलाओं का मानना है कि उनकी बेटियां जब बड़ी होंगी और जब उन्हें पहलगाम हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जानकारी होगी तो वो अपने नाम से गौरव की अनुभूति करेंगी. साथ ही उनका ‘सिंदूर’ नाम उन्हें उनके कर्तव्य का दृढ़ता से पालन करने का अहसास कराएगा. महिलाओं ने कहा कि उनकी ये पहल नई पीढ़ी को देशभक्ति की भावनात्मकता से प्रेरित करेगा. 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों ने धर्म के आधार पर 26 हिंदू पर्यटकों को गोली मारकर उनकी जान ले ली थी. इसके बदला लेने के लिए भारत की ओर से 6-7 मई की रात POK पर एयर स्ट्राइक कर इस कार्रवाई को ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया था. इस नाम ने भारत की महिलाओं की भावनाओं को काफी प्रभावित किया है.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़ी महिलाओं की भावनाएं-
PM मोदी ने 6-7 मई की रात को POK और पाकिस्तान में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को तबाह करने की कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम दिया था और इसे पहलगाम हमले में मारे गए मृतकों की पत्नियों को समर्पित किया था. उसके बाद अब ‘सिंदूर’ शब्द केवल सुहाग का प्रतीक ही नहीं रह गया, बल्कि ये साहस, बलिदान, श्रद्धांजलि और राष्ट्रप्रेम का प्रतीक बन गया है. ऐसे में कुशीनगर की माताओं ने अपनी नवजात बच्चियों का नाम सिंदूर रखकर ये साबित कर दिया कि देशप्रेम भाषणों या नारों से नहीं, बल्कि देश के हर नागरिक के छोटे-बड़े कार्य और फैसले से झलकता है. बेटियों को जन्म देनी वाली महिलाओं का कहना है कि जब देश की सेना सीमा पर दुश्मनों से लोहा ले रही थी, तब उनका मन एक अगल तरीके से देशप्रेम में डूबा हुआ था. वो सोंच रही थी अगर उन्हें बेटी हुई तो वो उसका ऐसा नाम रखेंगी जो देशभक्ति से प्रेरित हो और सेना को भी सम्मानित करे. इसी लिए उन्हों ने अपनी बेटियों का ‘सिंदूर’ नाम देकर इसे देश भक्ति और सेना से जोड़ दिया.
महिलाओं का ऑपरेशन सिंदूर से है भावनात्मक जुड़ाव-
कुशीनगर के खड्डा तहसील के भेड़िहारी गांव की रहने वली एक महिला का कहना है कि उन्होंने और उनके परिवार ने पहले से ही सोंच रखा था कि अगर बेटी का जन्म हुआ तो उसका नाम ‘सिंदूर’ रखेंगे. महिला के पति ने कहा, ‘सिंदूर’ महज एक शब्द नहीं है बल्कि हमारे लिए प्रेरणा भी है. वहीं, महिला ने पहलगाम आतंकी हमले की रोती महिलाओं के दृश्यों को याद करते हुए कहा कि पहलगाम नर संहार में कई महिलाओं के पतियों की जान चली गई. उसके जवाब में भारतीय सेना की ओर से दुश्मन देश पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया गया जिसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया. भारत की ओर से चलाए गए इस ऑपरेशन पर देशभर की महिलाओं को गर्व है. वहीं, महिला ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अब महज एक शब्द नहीं रह गया, बल्कि देशबर की महिलाओं की भावना से जुड़ गया है. इसीलिए हमने अपनी बेटी का नाम ‘सिंदूर’ रखा है.
सिंदूर का महत्व-
सिंदूर को हिंदू धर्म में सुहाग का प्रतीक माना जाता है. हर विवाहित महिला पति के नाम का सिंदूर अपनी मांग में लगाती है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि सुहागिन महिलाओं द्वारा मांग में सिंदूर भरने से उनका वैवाहिक जीवन में खुशहाली और संपन्नता बनी रहती है. इसके अलावा उनकी मांग में लगा सिंदूर उनके पति पर आने वाले हर संकट को रोकने में सहायता करता है. शादीशुदा महिलाओं के सिदूर लगाने के पीछे एक मान्यता ये भी है कि इससे उनके घर में सुख-शांति और खुशहाली बनी रहती है. पति-पत्नी के बीच का वैवाहिक संबंध मजबूत बना रहता है. कुछ शादीशुदा महिलाओं का कहना है कि सिंदूर लगाने की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है. सुहागिन महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन को स्थिर बनाए रखने के लिए अपनी मांग में सिंदूर भरती हैं.
सिंदूर लगाने से लंबी होती है पति की उम्र-
त्रेता युग में भी महिलाएं अपनी मांग में सिंदूर लगाती थीं. इसका प्रथा का उल्लेख रामायण भी किया गया है. सुहागिन महिलाओं कहना है कि माता सीता जब अपना श्रृंगार करती थीं तब उस समय वो अपनी मांग में सिंदूर जरूर भरती थीं. जब बजरंगबली ने उनसे सिंदूर लगाने के बारे में पूछा तो माता सीता ने हनुमान जी को बताया कि इसे देखकर भगवान राम प्रसन्न होते हैं. इससे शरीर स्वस्थ रहता है और व्यक्ति की आयु लंबी होती है. महिलाओं का ये भी मानना है कि अगर पत्नी मांग के बीच में लंबा सिंदूर लगाती है, तो इससे उसके पति की आयु लंबी होती है और उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है. अर्थात ये पति को आने वाले संकट को टाल देता है.