लखनऊ: आज से 167 साल पहले 10 मई 1857 को भारतीयों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ युद्ध लड़ा और उसी दिन शुरू हुआ भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम. लेकिन 10 मई का वो दिन तब और यादगार बन जाता है जब उसी मानसिकता से लड़ाई लड़ी जा रही हो. जब युद्ध हिंदुओं की धार्मिक अस्मिता पर हमले के बाद स्वतंत्रता के लिए हुआ था, वहीं आज युद्ध हिन्दू होने पर हुई हत्याओं के बाद इस्लामिक आतंकवाद से आजादी के लिए लड़ा जा रहा.
10 मई 1857; पहला स्वतंत्रता संग्राम युद्ध
10 मई, 1857 को मेरठ छावनी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ. मंगल पांडे जैसे वीरों ने इस लड़ाई को धार दी थी. यह लड़ाई भारत की स्वतंत्रता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था. इस संग्राम ने भारतीयों में राष्ट्रीयता की भावना को जगाया और देश की आजादी के लिए संघर्ष का मार्ग प्रशस्त किया.
कैसे शुरू हुआ था 1857 युद्ध
इस युद्ध की शुरुवात मिशनरियों और फिरंगियों की नापाक चाल से हुई थी. उनकी सेना में कई भारतीय थे. फिरंगियों ने हिंदुओं की अस्मिता पर हमला करते हुए चर्बी लगे कारतूस उन्हें दिए और मुंह से लगाने को कहा. लेकिन फिरंगियों के इस आदेश के बाद हिन्दू भारतीय सैनिकों ने इसका विरोध किया और विद्रोह शुरू कर दिया.
आज भी हिंदुओं की अस्मिता पर किया गया है हमला
आज भारत इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ लड़ रहा है. 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हिंदू पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने आतंक के गढ़ पाकिस्तान में सैन्य कार्रवाई की. भारतीय सेना आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ता से लड़ रही है. इस लड़ाई में भारत की सेना ने अपनी बहादुरी और सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया है.
7 मई 2025 को, भारतीय सेना ने देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरे आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की. जिससे बौखलाए पाकिस्तान की हरकतों से ये कार्रवाई युद्ध का रूप ले चुकी है.
1857 में भारत गुलामी की जंजीरों में कसे होने के बाद अमर बलिदानियों के शौर्य से विजयी हुआ. आज स्वतंत्र भारत आजादी के 7 दशक बाद सैन्य, सुरक्षा और तकनीकी तीनों से लैस है और अत्याधुनिक सैन्य हथियारों से पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे रहा है.
कैसे आतंक का सामना कर रहा भारत ?
भारतीय सेना ने अभी युद्ध की शुरुआत में S-400, L-70 एंटी-एयरक्राफ्ट गन और सोवियत मूल की ZSU-23-4 शिल्का यूनिट्स सहित ड्रोन रोधी और कम ऊंचाई वाले एयर डिफेंस सिस्टम से आतंक के गढ़ पाकिस्तान के इरादों को पस्त कर दिया है. पाकिस्तान सीमा पर भारतीय सेना ने बहादुरी के साथ आतंकी खतरों को हमेशा बेअसर किया है. 2016 की उरी सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसी कार्रवाई सेना की दृढ़ता को दर्शाती है. आज भी भारतीय सेना 1857 के योद्धाओं की विरासत को जारी रखते हुए युद्ध के मैदान में है.
आज की दृष्टि से दोनों युद्धों की समानता
मंगल पांडे की बंदूक ने औपनिवेशिक शासन को चुनौती दी थी; आज, भारतीय सेना आतंक के गढ़ पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे रही है. दोनों लड़ाइयों में देश की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष शामिल है. तब फिरंगियों से देश की आजादी लक्ष्य था, आज आतंक से भारत को आजाद कराने का लक्ष्य है.
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