नोएडा: उत्तर प्रदेश आज भारत की आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्रांति का नया केंद्र बनकर उभर रहा है. प्रदेश की योगी सरकार की अनुकूल नीतियों, मजबूत बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर और रणनीतिक स्थिति के चलते कई मल्टी नेशनल कंपनियां अपने उत्पादन केंद्र भारत में स्थानांतरित कर रही हैं. इससे न केवल भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भागीदारी बढ़ेगी, बल्कि लाखों रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे. वहीं, इस केंद्र के रूप में नोएडा कंपनियों की पहली पसंद बनकर उभर रही है.
सैमसंग ने किया दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फैक्ट्री को विस्तार
दक्षिण कोरियाई दिग्गज सैमसंग पहले से ही नोएडा में दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल विनिर्माण इकाई संचालित कर रहा है. अब, वियतनाम से उत्पादन को आंशिक रूप से भारत स्थानांतरित करने की योजना के साथ, उत्पादन क्षमता में कई गुना वृद्धि की संभावना है. अमेरिकी टैरिफ नीतियों के चलते यह बदलाव भारत के पक्ष में गया है, जहाँ सैमसंग स्थानीय कंपनियों जैसे डिक्सन टेक्नोलॉजीज़ और भगवती (माइक्रोमैक्स) के साथ साझेदारी कर रहा है.
गूगल पिक्सेल का भी भारत में निर्माण, अब ग्लोबल एक्सपोर्ट की तैयारी
अल्फाबेट इंक. (गूगल) भी भारत को अपने पिक्सेल फोन उत्पादन का एक प्रमुख आधार बनाने की दिशा में अग्रसर है. नोएडा में पहले से ही सीमित पैमाने पर पिक्सेल फोन का निर्माण हो रहा है, लेकिन हालिया घटनाक्रम इसे बड़े स्तर पर ले जाने की दिशा में संकेत दे रहे हैं. कंपनी डिक्सन और फॉक्सकॉन जैसे स्थानीय साझेदारों के साथ मिलकर अब निर्यात की दिशा में तैयारी कर रही हैं.
फॉक्सकॉन का नोएडा में नया मेगाप्लांट
एप्पल के सबसे बड़े वैश्विक विनिर्माण साझेदार फॉक्सकॉन ने नोएडा में 300 एकड़ भूमि की मांग की है, जहाँ वह उत्तर भारत में अपनी पहली मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करना चाहता है. यह परियोजना न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल देगी, बल्कि नोएडा को भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात राजधानी बना सकती है. प्रस्तावित स्थल यमूना एक्सप्रेसवे के पास स्थित है और आने वाले जेवर एयरपोर्ट से भी सटीक रूप से जुड़ा है, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को ताकत मिलेगी.
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‘मेक इन इंडिया’ को मिलेगा नया बल
भारत सरकार की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना और व्यापार समझौतों के कारण भारत अब वैश्विक कंपनियों के लिए चीन और वियतनाम का मजबूत विकल्प बनकर उभरा है. मोबाइल से लेकर होम अप्लायंसेज तक, अब भारत से दुनिया भर के बाजारों में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात किए जाने की पूरी संभावना है.
प्रदेश के पहले इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर को मिली मंजूरी
वहीं, केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) क्षेत्र में राज्य के पहले इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (EMC) को मंजूरी दे दी है. इस परियोजना पर कुल 539 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिसमें से केंद्र सरकार 144 करोड़ रुपये का योगदान देगी. इस क्लस्टर के विकास के साथ ही उत्तर प्रदेश को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति होगी. हैवेल्स इंडिया यहां 800 करोड़ रुपये का निवेश करके घरेलू उपकरणों का निर्माण करेगी. क्लस्टर में आधुनिक सुविधाओं से युक्त रेडी-बिल्ट फैक्ट्रियां, स्किल ट्रेनिंग सेंटर्स, बिजनेस हब और कर्मचारियों के लिए हॉस्टल आदि विकसित किए जाएंगे.
रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे
इस परियोजना में ऑटोमोटिव, कंज्यूमर, मेडिकल, टेलीकॉम और हार्डवेयर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे विविध क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) के लिए 176 रेडी-टू-यूज़ फैक्ट्री शेड्स और दो फ्लैटेड फैक्ट्री कॉम्प्लेक्स में इकाइयाँ तैयार की जाएंगी, जिससे नई औद्योगिक इकाइयों के लिए अवसर बढ़ेंगे और रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे.