लखनऊ: राजधानी लखनऊ में एक सप्ताह के भीतर दूसरी बार ट्रेन पलटाने की साजिश सामने आई है. अराजक तत्वों ने उतरेटिया से बक्कास स्टेशन के बीच रेलवे ट्रैक पर लोहे का दरवाजा रखा मिला था. लखनऊ की तरफ से आ रही मालगाड़ी दरवाजे पर चढ़कर निकल गई. गनीमत रही कि ट्रेन हादसे का शिकार नहीं हुई, इस मामले में स्टेशन मास्टर की शिकायत पर पुलिस ने 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इससे पहले 15 अप्रैल को रेलवे ट्रैक पर पेड़ का तना रखकर ट्रेन पलटाने की साजिश की गई थी. एक हफ्ते से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी पुलिस इस मामले के आरोपियों का सुराग नहीं लगा सकी है,
दरअसल, उतरेटिया से बक्कास के बीच चौधरी खेड़ा गांव के पास रेल ट्रैक पर लोहे का दरवाजा रखा गया था. लखनऊ की ओर से आ रही मालगाड़ी इस दरवाजे को कुचलते हुए पार हो गई. मालगाड़ी के लोको पायलट ने इसकी जानकारी उतरेटिया स्टेशन मास्टर को दी थी. सूचना मिलते ही अधिकारी मौके पर पहुंचे. इसके बाद पटरी पर से दरवाजे के टुकड़ों को हटवाकर ट्रैक बंद करवा दिया था. CRPF ने मौके पर पहुंचकर गहन जांच-पड़ताल की, उसके बाद रेलवेट ट्रैक शुरू कराया था. वहीं, इस मामले में सुशांत गोल्फ सिटी पुलिस ने 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
दरवाजा चोरी कर ले जा रहे थे आऱोपी-
पुलिस की पूछताछ में तीनों आरोपियों ने अपना नाम चेतराम रावत, गुलाब चंद्र यादव और लवकुश रावत बताया है. आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वो तीनों चौधरी खेड़ा में रहने हैं. पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने आगे का खुलासा करते हुए बताया कि उन्होंने एक प्लॉट की बाउंड्री वॉल में लगे नये दरवाजे की चोरी की थी. दरवाजे को ले जाते समय सभी रेलवे ट्रैक पार कर रहे थे. तभी ट्रेन की आवाज सुनी और वो सभी दरवाजे को ट्रेन की पटरी पर ही छोड़कर भाग गए. फिलहाल पुलिस इन आरोपियों से आगे की पूछताछ कर रही है.
पहले भी हो चुकी हैं ट्रेन पलटाने की साजिशें-
इससे पहले 25 अक्तूबर 2024 को मलिहाबाद में पटरी पर 6 किलो के पेड़ की डाल रखी गई थी. बरेली-वाराणसी एक्सप्रेस के इंजन में डाल फंस गई थी, जिसके बाद ट्रेन का एक्सेल टूट गया था. वहीं, डालीगंज-बादशाहनगर रेलखंड पर 150 से ज्यादा स्लीपरों में लगीं पेड्रोल क्लिपों को अराजक लोगों ने खोल दिया था. निरीक्षण के दौरान ये बात सामने आई थी. तब कृषक एक्सप्रेस वहां से गुजरने वाली थी, जिसे समय रहते रोक दिया गया था और एक बड़ा हादसा टल गया था. इससे पहले 2017 में मोहनलालगंज में ट्रेन की पटरी का एक टुकड़ा काट दिया गया थॉ. गैंगमैनों ने कटी हुई पटरी देखी तो इसकी सूचना तत्काल कंट्रोल को दी, जिसके बाद ट्रेनें रोककर रेलवे ट्रैक की मरम्मत की गई थी.
ट्रेन पलटाने की साजिश पर क्या है सजा?-
ट्रेन पलटाने की साजिश करते हुए पकड़े जाने पर रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 151 के तहत अधिकतम 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. अभी हाल ही में, इस अधिनियम में एक उपधारा जोड़ी गई है, जिससे इसे देशद्रोह की श्रेणी में लाने की तैयारी है और अगर ऐसा हुआ तो उम्रकैद से लेकर मृत्युदंड तक की सजा भी हो सकती है.
धारा 151-
रेलवे अधिनियम की धारा 151 के तहत, अगर कोई व्यक्ति रेल पलटाने की साजिश करने के आरोप में पकड़ा जाता है और आरोप सिद्ध हो जाता है, तो उसे अधिकतम 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.
देशद्रोह की श्रेणी में-
वर्तमान में, रेलवे अधिनियम में एक उपधारा भी जोड़ी जा रही है, जिससे रेल हादसे की साजिश को देशद्रोह की श्रेणी में शामिल किया जा सके.
उम्रकैद या मृत्युदंड-
अगर रेल हादसे की साजिश को देशद्रोह की श्रेणी में शामिल कर लिया जाता है, तो सजा उम्रकैद या मृत्युदंड तक की हो सकती है.
रेलवे अधिनियम के प्रावधान-
रेलवे अधिनियम के अनुसार, रेलवे पटरियों पर कोई भी वस्तु रखना या उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश करना भी एक अपराध की श्रेणी में आता है. रेलवे में इसके लिए भी सजा का प्रावधान है.