लखनऊ: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि INDI गठबंधन 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी बना रहेगा, लेकिन वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद ये गठबंधन आपसी फूट के कारण चला ही नहीं. बीते साल हरियाणा और उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में कांग्रेस के साथ सीट-बंटवारे को लेकर तनाव दिखा था. दोनों जगहों पर कोई गठबंधन नहीं हो सका. इस बीच अखिलेश की रणनीति PDA यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक फॉर्मूले के जरिए भाजपा को चुनौती देने की है.
अखिलेश यादव ने कहा कि साल 2027 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के होने वाले चुनाव में INDI गठबंधन जारी रहेगा. सपा इसी गठबंधन में रहकर ही 2027 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी और प्रदेश की सत्ता से BJP को PDA उखाड़ फेंकेगा. अखिलेश ने कहा कि यूपी की राजनीति में INDI गठबंधन है और रहेगा. ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि UP विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन के सभी दलों में सीट बंटवारे में क्या खिचड़ी पकती है. दरअसल, विपक्ष ने साल 2024 में BJP को लोकसभा का चुनाव हराने के लिए एकजुट होकर INDI गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा था. इसके बाद इस साल दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच ये गठबंधन टूट गया.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद उठे बगावत के सुर-
हाल में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार के बाद INDIA गठबंधन के अंदर भितर घात देखने को मिला था. गठबंधन के भीतर से बगावत की आवाजें आने लगी थीं. कहा जा रहा था कि कांग्रेस पार्टी और उसके नेता इंडी गठबंधन को सही नेतृत्व देने में हर तरह नाकाम साबित हुए हैं. महाराष्ट्र से पहले हरियाणा विधानसभा में भी कांग्रेस के इंडी गठबंधन को साथ लेकर चलने में बुरी तरह विफल साबित हुई थी. ऐसे में गठबंधन में कांग्रेस के सबसे करीबी सहयोगी दलों के लोग बगावत के बोल बोलने लगे हैं. इसी कड़ी में तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी के हाथों में INDI गठबंधन की कमान देने की मांग की जा रही है.
INDIA गठबंधन को चलाने की इच्छा जाहिर कर चुकी हैं ममता बनर्जी-
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने INDIA गठबंधन को लीड करने की इच्छा जाहिर कर चुकी हैं. उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें INDI गठबंधन को चलाने का मौका मिलता है, तो वो इसे सुचारू ठंग से चला सकती हैं. उन्होंने कहा था कि मैंने इंडिया गठबंधन का गठन किया था. अब इसका प्रबंधन, मोर्चा चलाने वालों की जिम्मेदारी है. कहा कि अगर मुझे मौका मिलता है, तो इसे सुचारू ढंग से चला सकती हूं. मैं बंगाल से ही गठबंधन को चला सकती हूं. उनके इस बयान का समर्थन सपा, राजद, आम आदमी पार्टी, शरद पवार और उद्धव ठाकरे की पार्टी ने किया है.
लालू यादव कर चुके हैं INDI गठबंधन की कमान ममता को सौंपने की मांग-
बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू यादव ने भी कहा है कि ममता बनर्जी को INDIA गठबंधन की कमान सौंपी जानी चाहिए. गैर करव् वाली बात ये है कि लालू यादव और कांग्रेस का गठबंधन काफी पुराना है. लालू यादव और सोनिया गांधी का साथ निजी तौर पर भी काफी अच्छा है. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि अब आखिर लालू यादव कांग्रेस को कटघरे में क्यों खड़ा कर रहे हैं? वैसे इंडिया गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ही है. मल्लिकार्जुन खड़गे उसके अध्यक्ष हैं, लेकिन राहुल गांधी को पार्टी की नेता माना जाता है. ऐसे में सभी नेता के बयान को सीधे राहुल गांधी पर हमला माना जा रहा है.
गुजरात के उपचुनाव में गठबंधन टूटने की सुगबुगाहट-
INDI गठबंधन में फूट का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अभी हाल ही में गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल ने गुजरात उपचुनाव अकेले ही लड़ने के संकेद दिए हैं. उन्होंने कहा कि AAP इंडिया ब्लॉक का हिस्सा होने के बावजूद विसावदर सीट के लिए अपना उम्मीदवार घोषित करके गठबंधन धर्म निभाने में विफल रही है. कहा कि INDIA ब्लॉक सहयोगी AAP के साथ गठबंधन किए बिना स्वतंत्र रूप से विसावदर और कादी विधानसभा सीटों पर उपचुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा, ‘गुजरातियों ने कभी तीसरी पार्टी को वोट नहीं दिया है. यहां या तो कांग्रेस है या फिर भाजपा.
वहीं, इस साल दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनाव के प्रचार के दौरान यमुना नदी के किनारे पहुंचकर नदी का जायजा लिया था. उस दौरान उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनका एक पुराना वादा याद दिलाते हुए कहा था कि वो यमुना नदी में डुबकी कब लगाएंगे? दिल्ली इंतज़ार कर रही है. ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि INDI गठबंधन पहले ही टूट चुका है. साथ ही सवाल ये उठता है कि क्या UP के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस या AAP सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी या नहीं. हालांकि अखिलेश यादव का हालिया बयान एकतरफा माना जा रहा है.