नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में नमामि गंगे मिशन 2.0 के तहत 7 प्रमुख परियोजनाओं का काम पूरा कर लिया गया है. उत्तर प्रदेश, दिल्ली और बिहार में ये परियोजनाएं मुख्य रूप से नदियों में जाने वाले सीवेज को रोकने के लिए हैं, जिससे पानी की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके और नदियों को स्वच्छ बनाए रखा जा सके.
बता दें कि भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में पवित्र नदी गंगा के कायाकल्प और उसकी संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया था. इस परियोजना को नमामि गंगे मिशन 2.0 नाम दिया गया था. इस मिशन के तहत 4 प्रमुख परियोजनाओं को सफलतापूर्वक शुरू किया गया था. उत्तर प्रदेश और बिहार में स्थित गंगा नदी की पवित्रता बनाए रखने के लिए ये पहल काफी महत्वपूर्ण हैं. इसके लिए गंगा और उसकी सहायक नदियों को प्रदूषण से बचाने और उसके पारिस्थितिक स्वास्थ्य को बढ़ाने के चल रहे प्रयासों की दृष्टि से भी बेहद अहम है.
नमामि गंगे मिशन क्या है और कितना बजट खर्च हो रहा है?-
नमामि गंगे कार्यक्रम या मिशन, गंगा नदी को साफ़ करने और उसकी सहायक नदियों के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है. इसे जून 2014 में ‘फ़्लैगशिप कार्यक्रम’ के रूप में मंज़ूर किया गया था. इस कार्यक्रम का उद्देश्य गंगा नदी के पानी को साफ़ करना और नदी के किनारे रहने वाले लोगों को साफ़ पानी उपलब्ध कराना है. इसका बजट लगभग 20,000 करोड़ रुपए है.
नमामि गंगे मिशन 2.0 की जानकारी-
920 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित ये परियोजनाएं 145 एमएलडी सीवेज उपचार क्षमता को बढ़ाएंगी, बेहतर सीवर नेटवर्क प्रदान करेंगी और कई नालों को रोकेंगी. राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा निर्धारित कड़े निर्वहन मानकों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन की गई ये पहल गंगा और उसकी सहायक नदियों के पानी की गुणवत्ता में पर्याप्त सुधार सुनिश्चित करती हैं
UP में नमामि गंगे मिशन 2.0 परियोजना-
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में स्थापित अन्य महत्वपूर्ण परियोजना गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए अवरोधन, मोड़ और उपचार कार्य के लिए है. 129 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से निर्मित ये परियोजना अब शुरू है और 9 नालों को रोककर और 6 मौजूदा नाला अवरोधन संरचनाओं के पुनर्वास के माध्यम से मिर्जापुर में गंगा में प्रदूषण के उन्मूलन पर केंद्रित है.
वहीं, गाजीपुर में ये परियोजना गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए अवरोधन, मोड़ और उपचार कार्यों के लिए शुरू की गई है, जिसकी स्वीकृत लागत 153 करोड़ रुपए है. 1.3 किलोमीटर का आईएंडडी नेटवर्क और 21 एमएलडी एसटीपी का विकास भी शामिल है. इसके अलावा, बरेली में 271 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से अवरोधन, मोड़ और सीवेज उपचार कार्यों के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना की शुरूआत की गई है. इस परियोजना के तहत यहां भी नदी को प्रदूषण को कम करना है और आगे प्रदूषित होने से रोकना है.
बिहार में नमामि गंगे मिशन 2.0 परियोजना-
बिहार में भी गंगा नदी के संरक्षण के लिए परियोजनाएं शुरू की गई हैं. राज्य के बख्तियारपुर में करीब 85 करोड़ रुपये की लागत से 10 एमएलडी एसटीपी, इंटरसेप्शन और डायवर्सन नेटवर्क का निर्माण किया गया है, जो प्रदूषित क्षेत्रों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है. वहीं, फतुहा में 35.49 करोड़ रुपये की परियोजना के तहत 7 एमएलडी एसटीपी स्थापित किया गया है, जिससे क्षेत्र की जल निकासी व्यवस्था में सुधार होगा. इसी तरह फुलवारी शरीफ में 46 करोड़ रुपये की लागत से 6 एमएलडी एसटीपी परियोजना शुरू की गई है, जो स्वच्छता और सतत विकास की दिशा में एक और कदम है.
दिल्ली में नमामि गंगे मिशन 2.0 परियोजना-
वहीं, दिल्ली में 666 करोड़ रुपये की लागत से परियोजना की शुरूआत की गई है. इसके तहत 564 एमएलडी क्षमता, इंटरसेप्शन और डायवर्सन नेटवर्क के साथ एशिया के सबसे बड़े एसटीपी का निर्माण पूरा हो चुका है. यमुना नदी के संरक्षण के उद्देश्य से बनाई गई ये महत्वाकांक्षी परियोजना डीबीओटी मॉडल पर आधारित है और A2O तकनीक का उपयोग करते हुए एनजीटी मानदंडों का पालन करती है.