लखनऊ: राजधानी में एक रिटायर्ड डॉक्टर डिजिटल अरेस्ट कर उनसे ठगी करने का मामला सामने आया है. उन्हें 2 दिन तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया. इस दौरान उन्होंने 95 लाख रुपए गंवा दिए. पीड़ित डॉक्टर ने साइबर थाने पहुंचकर मामले की शिकायत की है. वहीं, साइबर इंस्पेक्टर का कहना है कि मुकदमा दर्ज किया गया है. जालसाजों के पास से रुपयों की रिकवरी कराने का प्रयास किया जा रहा है. फिलहाल इस पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई है. इससे पहले कानपुर, नोएडा और आगरा में भी डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आ चुके हैं.
दरअसल, विराट खंड गोमती नगर के रहने वाले डॉक्टर बीएन सिंह साइबर थाने में ठगी की शिकायत दर्ज कराते हुए बताया कि ठग ने कुरियर कंपनी का कर्मी बनकर उनको फोन किया था. बोला तुम्हारे नाम से पार्सल है लेकिन इसमें अवैध सामान रखा है. इसके बाद उसने किसी पुलिस अधिकारी से भी बात कराई. दोनों ने उनसे केस सॉल्व हो जाने तक के लिए ऑनलाइन निगरानी में रहने की बात कही. वे जो भी कहते गए, सहमे रिटायर्ड डॉक्टर वही करते गए. इस दौरान धमकाकर और माइंड डाइवर्ट कर उनसे 95 लाख रुपए RTGS के जरिए ट्रांसफर करा लिए.
ठगों ने उनसे अगली बार जब 25 लाख रुपए और देने की मांग रखी, तो बुजुर्ग डॉक्टर को अपने साथ ठगी होने का अहसास हुआ और वो सतर्क हो गए. इसके बाद ठगी का शिकार हो चुके डॉक्टर ने वॉट्सऐप कॉल काटकर शिकायत लेकर साइबर थाने पहुंच गए. साइबर इंस्पेक्टर का कहना है कि मुकदमा दर्ज किया गया है. जालसाजों के पास से रुपयों की रिकवरी कराने का प्रयास किया जा रहा है. इससे पहले अभी हालही में 5 अप्रैल को कानपुर से डिजिटल अरेस्ट से ठगी का मामला सामने आया था. जिसमें रिटायर्ड विजिलेंस ऑफिसर को 44 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट करके 86 लाख रुपए से ज्यादा की ठगी की गई थी. डीड़ित ने साइबर और पनकी थाने में मामले की लिखित शिकायत की है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
नोएडा के सेक्टर-75 में भी 21 मार्च को एक बुजुर्ग दंपति से ठगी की गई थी. ठग ने खुद को TRAI का अधिकारी बताकर उन्हें 15 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट कर के रखा था. इस दौरान दंपति से करीब 3 करोड़ 14 लाख रुपए की ठगी की गई थी. पीड़ित बुजुर्ग ने साइबर थाने में ठगी को लेकर शिकायत दर्ज कराई है और पुलिस को पूरे घटना की जानकारी दी है. फिलहाल साइबर पुलिस इस मामले की भी जांच कर कर रही है. वहीं, इसी साल 20 जनवरी को आगरा में भी एक महिला को डिजिटल अरेस्ट करने की घटना सामने आई थी. इस दौरान साइब ठगों ने CBI अधिकारी बनकर महिला से लगभग 2 लाख 80 हजार की ठगी की थी. आरोपियों ने महिला को मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग्स तस्करी के मामलों में फंसाने की धमकी देकर एकाउंट में ठगी के पैसे ट्रांसफर करा लिए थे. पुलिस ने 80 हजार रुपए के एकाउंट को सीज कर 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. इस घटना में एक प्राइवेट बैंक का मैनेजर भी शामिल था.
क्या होता है डिजिटल अरेस्ट?-
डिजिटल अरेस्ट एक साइबर स्कैम है. डिजिटल अरेस्ट स्कैम में फोन करने वाले पुलिस, CBI, नारकोटिक्स, RBI और दिल्ली या मुंबई का बड़ा पुलिस अधिकारी बनकर आत्मविश्वास के साथ वॉट्सएप या स्काइप कॉल पर लोगों कनेक्ट करते हैं. बात करते समय लोगों को वो फर्जी अधिकारी एकदम असली का लगने लगता है. इस दौरान वो लोगों को इमोशनली और मेंटली परेशान करते हैं. साथ ही यकीन दिलाते हैं कि उनके या उनके परिजन के साथ कुछ बुरा हो चका है या होने वाला है. सामने बैठा व्यक्ति पुलिस की वर्दी में होता है, ऐसे में ज्यादातर लोग डर भी जाते हैं और उनके जाल में फंसते चले जाते हैं. ये ठग लोगों से संपर्क करके उनपर झूठे इल्जाम लगाकर कानून की धाराओं और गिरफ्तारी का भय दिखाकर पैसे ठग लेते हैं.
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डिजिटल अरेस्ट से बचाव-
अगर लोग डिजिटल अरेस्ट को लेकर जागरूक हैं तो इससे बचना काफी आसान है. इन दिनों सभी टेलीकॉम कंपनियां अपने ग्राहकों को डिजिटल अरेस्ट को लोकर जागरूक कर रही हैं. कहीं भी फोन करने पर रिंग बजने की जगह लोगों को एक संदेश सुनाई देता है कि अनजान नंबर से फोन न उठाएं. हालांकि अगर फोन उठा भी लिया जाता है तो ये बात याद रखें कि कानून में अभी डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई व्यवस्था नहीं है. कोई भी जांच एजेंसी फोन कॉल या वीडियो कॉल पर इस तरह से पूछताछ नहीं करती. इसलिए डरे नहीं और अपनी कोई भी निजी जानकारी किसी से भी साझा न करें. फिरभी अगर इस तरह की फोन कॉल या वीडियो कॉल आए तो उसे रिकॉर्ड कर लें और इसे राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके बताए या फिर cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट कर दें. इसके बाद पुलिस को भी सूचित कर दें.
डिजिटल अरेस्ट की सजा क्या है? –
इस मामले में बहुत तरह की सजा हो सकती है. जैसे- गलत डॉक्यूमेंट बनाने में, लोगों से ठगी करने में और सरकारी एजेंसी को गुमराह करने की सजा हो सकती है. इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग हो रही है तो उसकी सजा, आईटी एक्ट के तहत सजा, ट्राई के कानून के तहत गलत सिम कार्ड लेने की सजा का प्रावधान है. हालांकि, इस अपराध में सबसे बड़ी दिक्कत ये होती है कि जो लोग पकड़े जाते हैं, वो गिरोह के सदस्य होते हैं. और जो सरगना होता है, वो बाहर विदेश में बैठा होता है. ये एक या उससे अधिक हो सकते हैं. ऐसे में सरकारी एजेंसी उन्हें पकड़ ही नहीं पाती है.