लखनऊ: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम पर हाल ही में रामपुर की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 2022 के जमीन डीलों में स्टांप ड्यूटी चोरी का मामला दर्ज करते हुए उन्हें 3.71 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. यह जुर्माना उन पर चार बिक्री अभिलेखों में स्टांप ड्यूटी चोरी के आरोप में लगाया गया है, जिसमें गलत तरीके से कृषि भूमि को आवासीय भूखंड के रूप में प्रस्तुत किया गया था. इस मामले में कुल 1.78 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी की चोरी का खुलासा हुआ है. कोर्ट ने जुर्माने में चोरी की गई स्टांप ड्यूटी का दोगुना और देरी से भुगतान के लिए 1.5 प्रतिशत मासिक ब्याज भी जोड़ा है.
क्या है स्टांप ड्यूटी चोरी का मामला ?
जिला शासकीय अधिवक्ता (डीजीसी) प्रेम किशोर पांडे ने बताया कि कोर्ट ने यह पाया कि अब्दुल्ला आजम ने सदर तहसील क्षेत्र में जमीन खरीदने के बाद इसे गलत तरीके से रजिस्टर किया था. इस मामले की जांच एसडीएम सदर द्वारा की गई जिसमें अनियमितताओं की पुष्टि हुई. इसके परिणामस्वरूप तीन अलग-अलग मामलों में FIR दर्ज की गई और जुर्माना लगाया गया. बता दें, पिछले कुछ सालों में अब्दुल्ला आजम के खिलाफ 45 मामले दर्ज हुए थे और सभी में उन्हें जमानत मिल गई थी.
आजम और उनके परिवार पर की मामले दर्ज हुए
आजम खान और उनके परिवार को एक नहीं ऐसे कई और मामलों में FIR दर्ज है और सजा भी हुई है. सफाई मशीन घोटाले को आजम खान के मंत्री रहते हुए अंजाम दिए गए. धन, बाहुबल और पद को ताख पर रखकर इन घटनाओं को अंजाम दिया गया.
सफाई मशीन चोरी का मामला
रामपुर के कोतवाली थाने की पुलिस ने 2022 में नगर पालिका की सफाई मशीन चोरी के आरोप में आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और पूर्व चेयरमैन अजहर अली खान के खिलाफ FIR दर्ज की थी. यह चोरी जौहर विश्वविद्यालय से की गई थी, जहां बाद में सफाई मशीन को बरामद किया गया. उस समय आजम खान उत्तर प्रदेश सरकार में नगर विकास मंत्री थे. इस मामले में पद के दुरुपयोग का भी आरोप लगा था.
गलत तरीके से सरकारी भूमि का उपयोग
यही नहीं, वर्ष 2017 में सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने इस बात पर सवाल उठाया था कि कैसे आजम खान ने सपा सरकार के दौरान बिना किसी नियम और शर्तों के सरकारी भूमि का निजी संस्था मौलाना जौहर अली ट्रस्ट को सौंप दिया. यह आरोप भी लगाया गया कि यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के खिलाफ था, जिसमें निजी व्यक्तियों को सरकारी भूमि देने की अनुमति नहीं है.
शत्रु संपत्ति पर कब्ज़ा
आजम खान और उनके बेटे पर शत्रु संपत्ति पर कब्ज़ा करने का भी आरोप है. यह संपत्ति जौहर विश्वविद्यालय के आसपास स्थित थी और इमामुद्दीन कुरैशी के नाम पर दर्ज थी, जो विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए थे. जांच में पाया गया कि इस संपत्ति का गलत तरीके से रिकॉर्ड में बदलाव किया गया था. बाद में इस मामले में आजम खान और उनके बेटे को आरोपी बनाया गया.
800 करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी मामले में जांच
करीब डेढ़ साल पहले आजम खान और ट्रस्ट के बाक़ी सदस्यों के ठिकानों पर इनकम टैक्स ने छापा मारा था. आईटी विभाग को शक था कि आजम खान और उनके परिवार के सदस्य 800 करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी की है. आयकर विभाग ने मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय और अन्य सरकारी विभागों की फाइलों की जांच शुरू कर दी है. बता दें जौहर यूनिवर्सिटी की नींव उस समय रखी गई थी, जब मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे.
आयकर विभाग ने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग से यूनिवर्सिटी निर्माण में होने वाले खर्च का मूल्यांकन करने को कहा था. ये रकम 450 करोड़ बताई गई थी. लेकिन जौहर ट्रस्ट के खाते में सिर्फ 100 करोड़ रुपये ही थे. ऐसे में ये बेनामी निवेश माना जा रहा है.