अयोध्या: रामनवमी के शुभ अवसर पर रामलला का सूर्य तिलक किया गया था. जिसे विज्ञान व अध्यात्म का अद्भुत समन्वय बताया जा रहा है. इसरो और सीबीआरआई, रुड़की के वैज्ञानिकों की टीम ने दो साल की कड़ी मेहनत के बाद यह सफलता पाई है.
बता दें कि वहीं, रामनगरी के एक अन्य प्राचीन मंदिर में भी सूर्य की किरणों ने प्राकृतिक तरीके से राम जन्मोत्सव पर श्रीराम का सूर्य तिलक किया. सूर्य की रश्मियों ने करीब पांच मिनट तक भगवान राम व माता सीता के मुख मंडल को प्रकाशित किया.
हम बात कर रहे हैं श्रीराम नगरी के अति प्राचीन दंतधावन कुंड आचारी मंदिर की. इस मंदिर की स्थापना विष्णु प्रकाशाचार्य ने की थी. मंदिर परंपरा की 13वीं पीढ़ी के महंत विवेक आचारी का दावा है कि मंदिर में रोजाना सूर्य की किरणें श्रीसीताराम भगवान का सूर्य अभिषेक करती हैं. इसी क्रम में राम जन्मोत्सव के दिन रविवार को भी सुबह 8:15 बजे से 8:20 बजे तक सूर्य की किरणों ने भगवान के मुख मंडल को प्रकाशित किया था.
उल्लेखनीय है कि मंदिर का गर्भगृह पूर्व दिशा में निर्मित है जबकि उत्तर दिशा में एक झरोखा बना है, इसी झरोखे से सूर्य की किरणें नित्य सुबह भगवान श्रीसीताराम का अभिषेक करती हैं. किरणें पहले मुख पर पड़ती हैं, फिर भगवान व माता जानकी के पैरों पर पड़ती हैं. यह पूरी तरह से प्राकृतिक सूर्य तिलक है. इसमें किसी तकनीक का कोई प्रयोग नहीं किया गया है.