लखनऊ: वक्फ संशोधन बिल को कानून बनाने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदि मुर्मु की मंजूरी मिल गई है. इसके बाद उत्तर प्रदेश में अब नए कानून के तहत वक्फ संपत्तियों को लेकर योगी सरकार ने अनाधिकृत वक्फ संपत्तियों को लेकर कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में अल्पसंख्यक कल्यांण विभाग के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की. मंत्री और अधिकारियों के बीच यूपी में वक्फ संपत्तियों को लेकर काफी देरतक आत्म मंथन चलता रहा. बैठक के बाद ये बात सामने आ रही है कि वक्फ को लेकर नए कानून के तहत प्रदेशभर में इसी सप्ताह प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं.
यूपी में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास वक्फ संपत्तियां-
साल 2014 के आंकड़ो के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में वक्फ बोर्ड के पास लगभग 1,24,720 वक्फ संपत्ति हैं. इनमें से सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास 1,19,451, जबकि शिया वक्फ बोर्ड की 5,269 वक्फ संपत्तियां हैं. अब बात करें अगर राजधानी लखनऊ की तो वहां पर वक्फ बोर्ड के पास कुल 3,072 वक्त संपत्तियां हैं, जिनमें से सुन्नी वक्फ वोर्ड के पास लगभग 2,386 वक्फ संपत्तियां हैं, जबकि शिया वक्फ बोर्ड के पास करीब 686 वक्फ प्रॉपर्टीज हैं. वहीं, यूपी राजस्व विभाग के मुताबिक प्रदेश में वक्फ बोर्ड की ओर से जिन संपत्तियों पर दावा किया गया है, उनमें से अधिकांश का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है.
संभल में 1,150 सरकारी संपत्तियों पर है वक्फ का दावा-
राजस्व अभिलेखों के अनुसार, लखनऊ में सुन्नी वक्फ बोर्ड की केवल 2,533 वक्फ संपत्तियां दर्ज हैं, जबकि शिया वक्फ बोर्ड की कुल 430 संपत्तियां ही अधिकृत रूप से पंजीकृत हैं. वर्तमान में यूपी का संभल जिला शाही जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हुए विवाद के बाद काफी चर्चा में रहा है. अगर यहां की बात करें तो वक्फ बोर्ड ने संभल जिले में कुल 1,150 सरकारी संपत्तियों पर दावा ठोक रखा है, जिसका कुछ क्षेत्रफल 256.1157 हेक्टेयर है. संभल के जिलाधिकारी ने इन सभी जमीनों को चिह्नित किया है. वहीं, लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहर माने जाने वाले बड़ा इमामबाड़ा और छोटा इमामबाड़ा की बात करें तो इतिहास के इन दोनों धरोहरो को लेकर विवाद सबसे पहले तब सामने आया जब वक्फ संशोधन बिल को लेकर बनी जेपीसी की बैठक लखनऊ में हुई.
इस बैठक में शिया वक्फ बोर्ड ने ये दावा किया कि लखनऊ का छोटा इमामबाड़ा, बड़ा इमामबाड़ा और बेगम हजरत महल पार्क शिया वक्फ बोर्ड की संपत्ति है. हालांकि, इस बैठक के बाद यूपी सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा था कि सरकार ने यूपी में करीब 1 लाख वक्फ संपत्तियों का सर्वे जिलों के डीएम से कराया था. उस दौरान लखनऊ के बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा और बेगम हजरत महल पार्क को लेकर कोई वाजिब दस्तावेज शिया बक्फ बोर्ड ने पेश नहीं किया था. ऐसे में ये वक्फ की संपत्ति है, इसको लेकर पुख्ता तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता. हालांकि, शिया वक्फ बोर्ड कहता है कि दफा 37 के तहत ये जमीन शिया बोर्ड की है.
क्या है वक्फ?
वक्फ एक अरबी का शब्द है. इसका मतलब खुदा के नाम पर दी जाने वाली किसी संपत्ति या वस्तु से है. इसे परोपकार के उद्देश्य से दान किया जाता है. कोई भी मुस्लिम व्यक्ति अपनी चल और अचल संपत्ति को वक्फ को दान कर सकता है. अगर कोई भी संपत्ति एक भी बार वक्फ घोषित हो जाती है तो उसे दोबारा गैर-वक्फ संपत्ति नहीं बनाया जा सकता है. देश में पहला वक्फ अधिनियम 1954 में बनाया गया था. इसी के तहत वक्फ बोर्ड का गठन किया गया था. इसका मकसद वक्फ के कामकाज को सरल बनाना था. 1955 में पहला संशोधन किया गया. 1995 में नया वक्फ कानून बनाया गया था. इसके तहत राज्यों को वक्फ बोर्ड गठन की शक्ति दी गई. वहीं, साल 2013 में संशोधन किया गया और सेक्शन 40 जोड़ा गया.
कौन देता है वक्फ को संपत्ति?
वक्फ को मुस्लिम लोग इस्लाम से संबंधित धार्मिक कार्य करने के लिए अपनी जमीन दान करते हैं. कहा जाता है कि अगर किसी मुस्लिम व्यक्ति का कोई आगे-पीछे नहीं होता तो उसकी पर वक्फ खुद ही कब्जा कर लेता है. वक्फ को जीमीने दान करने के मामले में हैदराबाद के निजाम सबसे आगे रहे है. निजाम, निजाम-उल-मुल्क या राज्य के प्रशासक की उपाधि का संक्षिप्त रूप है. हैदराबाद में वास्तव में 10 निजाम हुए– पहले मीर कमरुद्दीन खान (1724-1748) और आखिरी मीर उस्मान अली खान. खासकर निजाम उल मुल्क आसफ जाह ने दक्कन क्षेत्र में हजारों एकड़ जमीन वक्फ को दान की. निजाम ने वक्फ को कुल कितनी संपत्ति दान की इसकी समुचित जानकारी कहीं नहीं मिलती है. हालांकि, ये सही है कि निजामों ने वक्फ को बहुत सारी संपत्तियां दान की थी.