सनातन और सिख दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं. जब-जब सनातन पर संकट आया, तब-तब सिखों ने अपनी तलवार उठाई. बड़ी संख्या में बलिदान दिया. सिख और सनातन का अटूट संबंध महाकुंभ में भी देखने को मिल रहा है. यहां मौजूद 13 प्रमुख अखाड़ों में से 3 अखाड़ों का प्रतिनिधित्व सिख संत करते हैं. इनमें निर्मल अखाड़ा, बड़ा उदासीन अखाड़ा और नया उदासीन अखाड़ा का नाम शामिल है.
महाकुंभ में अब तक देश व दुनिया के कई देशों से आए करीब 58 करोड़ श्रद्धालु शामिल हो चुके हैं. जिनमें से बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालु भी शामिल हैं. महाकुंभ में सिख सिर्फ शामिल ही नहीं हो रहे, बल्कि मेला क्षेत्र में लंगर का भी आयोजन कर रहे हैं, ताकि यहां आने वाला कोई भी भूखा न रहे. देश व विदेश से कई सिख श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच कर संगम में पवित्र डुबकी लगा चुके हैं. इनमें कई प्रमुख हस्तियां शामिल हैं.
इन्ही में पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान, मंत्री अमन अरोड़ा, आम आदमी पार्टी के सांसद गुरमीत सिंह मीत ने बीते बुधवार को संगम में स्नान तक पुण्य कमाया. इस दौरान मीडिया से बात करते हुए मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि अबकी बार का महाकुंभ 144 साल बाद बने दुर्लभ में हो रहा है. मैं मां गंगा का आशीर्वाद पाकर बहुत खुश हूं.
वहीं, इस बार के महाकुंभ में तीन पारंपरिक सिख अखाड़ों के साथ एक निहंग गुट ने भी अमृत स्नान किया. निहंग सिख एक विशेष योद्धा वर्ग से आते हैं, जो युद्धकला के विभिन्न कौशल से प्रशिक्षित होते हैं. निहंग दल के जत्थेदार निहंग बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर ने जानकारी देते हुए बताया कि महाकुंभ में शामिल होने से पहले, निहंग गुट ने 22 जनवरी 2024 को हुई रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान लंगर का आयोजन किया था. उन्होंने बताया कि बाबरी मस्जिद पर सबसे पहले निहंग सिखों ने ही कब्जा किया था.
बाबा हरजीत सिंह के अनुसार, 1858 में बाबा फकीर सिंह के नेतृत्व में 25 निहंग सिखों ने बाबरी मस्जिद पर कब्जा दीवारों पर ‘राम-राम’ लिख दिया था. साथ ही भगवा ध्वज फहराते हुए हवन पूजन भी प्रारंभ कर दिया था. जिसके बाद 30 नवंबर, 1858 को उनके खिलाफ अवध रियासत के थानेदार ने केस दर्ज किया था.
13 प्रमुख अखाड़ों में से सिख समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले 3 अखाड़े निर्मल अखाड़ा, बड़ा उदासीन अखाड़ा और नया उदासीन का इतिहास भी प्राचीन है. उदासीन अखाड़े को विस्तार देने का काम गुरु नानक देव के बेटे बाबा श्री चंद ने की थी. वहीं निर्मल अखाड़ा की स्थापना 10वीं शताब्दी में हुई. निर्मल अखाड़ा की स्थापना सिख धर्म के 10वें गुरु गुरुगोविंद सिंह जी के शिष्यों ने की थी. इस अखाड़े के सभी संत गुरुग्रंथ साहिब का पालन करते हैं. साथ ही वेद, पुराण और धर्म शास्त्र में पारंगत होते हैं.