महाकुंभ नगर; पाकिस्तानी हिंदुओं का एक समूह वाघा-अटारी बॉर्डर से होते हुए बीते सोमवार को भारत पहुंचा. यह समूह 480 लोगों की अस्थियां लेकर आया है. यह अस्थियां पाकिस्तानी हिंदुओं के परिजनों की हैं. जिनकी इच्छा थी कि ये गंगा नदी में ही प्रवाहित की जाएं. भारत आने वाले समूह में कराची के श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर के महंत रामनाथ मिश्रा भी हैं. जो इस काज के लिए चुने जाने पर खुद को धन्य और सौभाग्यशाली मानते हैं.
गंगा में विसर्जित की जाए उनकी अस्थियां
मीडिया से बातचीत में रामनाथ मिश्रा ने कहा कि पाकिस्तान में कई हिंदुओं की इच्छा होती है कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी अस्थियां गंगा में विसर्जित की जाएं. उनके परिजन उनकी यह अंतिम इच्छा पूरी करना चाहते हैं. ऐसे में अस्थियों को मंदिरों में कलश में सुरक्षित रखा जाता है. जब पर्याप्त संख्या में कलश इकट्ठे हो जाते हैं. तो भारत का वीजा लेने का प्रयास किया जाता है. इस तरह मृतक या उनके परिवारों की अंतिम इच्छा पूरी होती है. हम लगभग 480 कलश लेकर आए हैं. ये अस्थियां पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों से एकत्रित की गई हैं. इन्हें मोक्ष के लिए गंगा में विसर्जित किया जाएगा.
अभी प्रयागराज जाने की नहीं मिली है अनुमति
जानकारी के मुताबिक, इस समूह को महाकुंभ के वक्त अस्थियां लेकर भारत आने का वीजा मिला है. इनके पास अभी लखनऊ और हरिद्वार जाने का वीजा है, लेकिन इन्हें प्रयागराज जाने की अनुमति मिलने का भी इंतजार है. इसे पाकर वह न केवल लखनऊ और हरिद्वार घूमेंगे बल्कि, प्रयागराज जाकर संगम में भी डुबकी लगाएंगे.
22 फरवरी को सीता घाट पर होगा विसर्जन
मिली जानकारी के मुताबिक, ये अस्थियां 21 फरवरी तक दिल्ली के सबसे पुराने और बड़े श्मशान घाट, निगम बोध घाट पर रखी जाएंगी. फिर यहां कई लोग आकर इन्हें श्रद्धांजलि देंगे और 21 फरवरी को वैदिक रीति-रिवाजों के साथ अस्थियों को हरिद्वार ले जाया जाएगा. 22 फरवरी को सीता घाट पर इनका विसर्जन होगा.
अस्थियों को खुद भारत लाने में सक्षम नहीं हैं पाकिस्तानी
बता दें कि पाकिस्तान में लोग आर्थिक मजबूरी और अन्य वजहों के कारण अपने परिजनों की अस्थियां खुद भारत लाने में सक्षम नहीं होते हैं. ऐसे में उन्हें इंतजार रहता है कि कोई ऐसा मिले तो इस काम में उनकी मदद कर दे. वैसे उनके पास सिंधु नदी का विकल्प होता है मगर फिर भी कोशिश होती है कि अस्थियां गंगा में प्रवाहित की जाएं.