मदुरई: तमिलनाडु के मदुरई स्थित पवित्र थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. पहाड़ी पर मुस्लिम समुदाय को पका हुआ मांस ले जाने की अनुमति मिलने के बाद हिंदू संगठनों ने बीती 4 फरवरी दिन मंगलवार को जमकर विरोध प्रदर्शन किया. आरएसएस व विहिप सहित 50 से अधिक हिंदू संगठन से जुड़े कार्यकर्ता पलक्कनाथम में एकत्रित हुए और जमकर विरोध प्रदर्शन किया.
🚩Hindu voices roaring in TamilNadu!
Against the Izzlamics attempted take over & their anti Hindu Dravidian support.#Thiruparankundram the sacred Kandhar Malai,belongs to our Lord Murugan & Hindus alone.@hindumunnani_tn is going all out to protect our faith 🚩… pic.twitter.com/0xpkianGje— 🇮🇳 Sangitha Varier 🚩 (@VarierSangitha) February 4, 2025
थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर स्थित है प्राचीन मुरुगन मंदिर
थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर प्राचीन मुरुगन मंदिर स्थित है. जो हिंदू समुदाय का एक बड़ा धार्मिक स्थल है. वहीं, मुस्लिम समुदाय ने इस पहाड़ी को वक्फ की संपत्ति बताते हुए यहां पर एक दरगाह बना लिया है, जो मुरुगन मंदिर के पास बनाई गई है. मुस्लिम समुदाय ने यहां बकरा और मुर्गा काटने के लिए ले जाने की अनुमति मांगी, जिसके बाद विवाद बढ़ गया.
पहले इस इलाके में बकरा और मुर्गा काटने पर प्रतिबंध था, लेकिन बाद में प्रशासन ने निर्णय लिया कि मुस्लिम समुदाय पका हुआ मांस ले जा सकता है. इस पर हिंदू समुदाय में आक्रोश फैल गया और उन्होंने इस निर्णय का विरोध शुरू कर दिया.
हिंदू संगठनों का विरोध प्रदर्शन
हिंदू संगठनों ने मंगलवार को मदुरई के पलक्कनाथम में बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, आरएसएस, भाजपा सहित कई संगठनों के कार्यकर्ता शामिल हुए. विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. सोशल मीडिया पर इस प्रदर्शन का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है.
मदुरई में कड़ी की गई सुरक्षा व्यवस्था
हिंदुओं के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए मदुरई में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. 3,500 से अधिक पुलिसकर्मी की तैनाती की गई है. विरोध में शामिल लोगों ने हिंदू देवताओं के नारे लगाए और पवित्र पहाड़ी पर मांस ले जाने की अनुमति देने के फैसले का विरोध किया.
कोर्ट पहुंचा हिंदु समुदाय
हिंदू संगठन इस मामले को लेकर मद्रास हाई कोर्ट पहुंचे और विरोध प्रदर्शन की अनुमति मांगी. अदालत ने 4 फरवरी को शाम 5 से 6 बजे तक विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी थी. साथ ही प्रशासन को इसकी व्यवस्था करने का आदेश दिया था. इसके बाद हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया, जो शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ.
मुस्लिम पक्ष का बयान
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सांसद नवाज कानी ने पुलिस अधिकारियों से बात की और कहा कि पहाड़ी के ऊपर बकरों और मुर्गियों की कुर्बानी देने, पकाने और खाने की परंपरा को बहाल किया जाना चाहिए. कानी ने दावा किया कि इस पहाड़ी पर मुरुगन मंदिर के पास स्थित दरगाह सिकंदर बादुशाह थोझुगई पल्लीवासल को सुल्तान सिकंदर ने लगभग 400 साल पहले बनवाया था. इसे मुस्लिमों का धार्मिक स्थल माना जाता है.
वहीं, डीएमके विधायक अब्दुल समद ने भी पहाड़ी के अनौपचारिक सर्वेक्षण के बाद इसे मुस्लिमों की संपत्ति बताते हुए दावा किया कि यह ‘सिकंदर पहाड़ी’ है. मुस्लिमों को यहां इबादत का अधिकार है.
थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
यह पहाड़ी न केवल मुरुगन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां प्राचीन जैन गुफाएं भी स्थित हैं, जिनमें ब्राह्मी लिपी में अभिलेख पाए गए हैं. इस पहाड़ी में एक शिव मंदिर भी स्थित है. जिसके प्रति हिंदू समाज में गहरी आस्था है. हालांकि अब जिस प्रकार से मुस्लिम समाज के लोग पहाड़ी पर पका मांस लेकर जा रहे हैं, जिससे हिंदु समाज की भावनाएं आहत हुई हैं.
1931 थिरुपरनकुंद्रम मंदिर ने साबित किया था अधिकार
सालों से मुस्लिम समुदाय द्वारा इस पहाड़ी को ‘सिकंदर पहाड़ी’ के रूप में मान्यता देने की मांग कर रहा है. 1931 में इस्लामवादी संगठनों ने इसे मुस्लिमों की संपत्ति बताया था. साथ ही ‘सिकंदर हिल्स’ नाम से पहचाने जाने का दावा किया था. उस समय प्रिवी काउंसिल ने इस मामले का संज्ञान लिया और यह फैसला दिया कि थिरुपरनकुंद्रम मंदिर ने पहाड़ी के खाली हिस्सों पर अपना ऐतिहासिक कब्जा साबित कर दिया है. यह उसे अपनी संपत्ति मानता है.