नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए रक्षा मंत्रालय को 6.81 लाख करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है. इस बजट में रक्षा बलों के आधुनिकीकरण, तकनीकी उन्नति और क्षमताओं के विस्तार के लिए 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपए का पूंजीगत परिव्यय रखा गया है, जो सैन्य क्षेत्र को मजबूती प्रदान करेगा.
भारत ने किया रिकॉर्ड रक्षा उत्पादन
भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा उत्पादन में ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज की है. देश ने 1.27 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड उत्पादन किया, जो पिछले एक दशक में 174 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर्शाता है. इसके साथ ही, भारत ने 21,083 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात भी किया है, जिससे वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति मजबूत करने और आयात पर निर्भरता कम करने में सफलता प्राप्त की है.
आत्मनिर्भरता की ओर कदम
भारत ने 2014 के बाद से अपनी सैन्य नीति में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिसके तहत देश की रक्षा ताकत अब आयात पर निर्भर होने के बजाय स्वदेशी उत्पादन और आत्मनिर्भरता पर केंद्रित हो गई है. ‘मेक इन इंडिया’ पहल और अन्य नीति सुधारों के माध्यम से, सरकार ने घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिससे विदेशी खरीद पर निर्भरता कम हुई है. इसके परिणामस्वरूप, भारत रक्षा उत्पादन में एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभरा है.
दृढ़ कदमों से बढ़ी रक्षा शक्ति
भारत के रक्षा क्षेत्र ने पिछले कुछ वर्षों में क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ वैश्विक सैन्य मंच पर भी अपनी ताकत को प्रदर्शित किया है. 2013-14 में जहां रक्षा बजट 2.53 लाख करोड़ रुपये था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 6.21 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो देश की रक्षा क्षमता में जबरदस्त विस्तार को दर्शाता है.
इनपुट-हिन्दुस्थान समाचार