प्रयागराज: महाकुंभ मेले में प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु के पहुंचने का क्रम जारी है. श्रद्धालु अपने खाने-पीने का भी इंतजाम कर रहे हैं. इसी कड़ी में एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हो रही है. जिसमें एक इंस्पेक्टर श्रद्धालु के लिए बनाए जा रहे खाने में राख डालता दिख रहा है. जिसके चलते पुलिस की जमकर किरकिरी हो रही है. वीडियो वायरल होने के बाद आरोपी इंस्पेक्टर को निलंबित कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है.
दरोगा जी को भीड़ नियंत्रण के लिए यही उपाय ठीक लगा होगा कि भंडारे के खाने में राख डाल दो। भोजन ही नहीं होगा तो लोग इकट्ठा नहीं होंगे। pic.twitter.com/txHJOGYmXd
— Rajesh Sahu (@askrajeshsahu) January 30, 2025
वीडियो में क्या था?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे नौ सेकंड के इस वीडियो में, सड़क के किनारे कुछ लोग भोजन बना रहे थे. लोग अपने काम में व्यस्त थे, तभी एक इंस्पेक्टर खाकी वर्दी में वहां पहुंचता है और फावड़ा से बन रहे भोजन में राख डाल देता है. जिससे पूरा भोजन खराब हो जाता है. यह देख वहां मौजूद लोग हैरान रह जाते हैं. बनाए जा रहे भोजन में मिट्टी डालने वाले का इस्पेंक्टर का नाम बृजेश तिवारी बताया जा रहा है.
कहां की है घटना?
यह घटना प्रयागराज के सोरांव क्षेत्र के मलाक चतुरी गांव की है, जो फाफामऊ-सोरांव सीमा के पास स्थित है. जहां एक भंडारे का आयोजन किया जा रहा था. जानकारी के मुताबिक, भंडारा आयोजित करने की अनुमति नहीं मिली थी, जिसके बाद इस्पेंक्टर ब्रजेश तिवारी ने गुस्से में आकर बन रहे भोजन में राख मिला दी. क्योंकि सनातन परंपरा में भंडारे के भोजन को प्रसाद के रूप में माना जाता है, इसलिए यह न केवल धार्मिक अवमानना थी, बल्कि अपमानजनक कार्रवाई भी. जिसके चलते इस्पेंक्टर के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की गई है.
डीसीपी ने किया निलंबित
वीडियो वायरल होने के बाद डीसीपी ने तत्काल संज्ञान लिया और मामले की गंभीरता को देखते हुए इंस्पेक्टर बृजेश तिवारी को निलंबित कर दिया. डीसीपी ने मामले की जांच के आदेश भी दिए हैं. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि वीडियो कब और किस तारीख का है, लेकिन इसे लेकर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है.
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स्थानीयों ने किया विरोध
घटना के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश देखा जा रहा है. लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि जब मेला क्षेत्र में बड़े पैमाने पर धार्मिक आयोजन हो रहे हैं और श्रद्धालुओं को भोजन देने के लिए भंडारे चलाए जा रहे हैं, तो पुलिस अधिकारियों का इस तरह से व्यवहार बेहद असंवेदनशील है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह कृत्य न केवल प्रशासन के प्रति श्रद्धालुओं का विश्वास तोड़ने वाला था, बल्कि यह पूरे महाकुंभ की धर्मिक भावना को भी ठेस पहुंचाता है.