प्रयागराज महाकुंभ न सिर्फ एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत आधार बन गया है. अनुमान के मुताबिक, महाकुंभ में करीब 40 करोड़ श्रद्धालु पहुंच सकते हैं. जिसको देखते हुए छोटे कारीगरों और उद्यमियों के लिए यह बड़ा अवसर माना जा रहा है. महाकुंभ में यूपी के सभी 75 जिलों के कारीगरों और उद्यमियों के लिए यह आयोजन दिवाली की तरह है. माना जा रहा है कि 45 दिनों के इस आयोजन में उन्हें 10 हजार करोड़ का आर्डर मिल सकता है.
7500 करोड़ रुपये का बजट, 25 हजार करोड़ रुपये का राजस्व
राज्य सरकार ने महाकुंभ के आयोजन के लिए 7,500 करोड़ रुपये का बजट रखा है. इस खर्च से करीब 25 हजार करोड़ रुपये के राजस्व और 2 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का अनुमान है. महाकुंभ ने जूता-चप्पल सिलने वाले कारीगरों से लेकर हेलीकॉप्टर चलाने वाली कंपनियों तक के लिए कमाई के रास्ते खोले हैं. खाद्य तेल, किराने सामान, सब्जियां, बिस्तर, डेयरी उत्पाद, हॉस्पिटैलिटी, और अन्य सेक्टरों में भी भारी कमाई का अनुमान है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के यूपी प्रमुख महेन्द्र गोयल के मुताबिक महाकुंभ से 17,310 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा.
हर जिले को रोजगार के साथ मिला मौका
महाकुंभ के जरिए प्रदेश के हर जिले में रोजगार और आय के अवसर बढ़े हैं. होटल, रेस्टोरेंट, छोटे खोमचे वाले, हवाई यात्रा, रेल और सड़क परिवहन की मांग 80 गुना तक बढ़ेगी. निर्माण, सुरक्षा, सफाई, और स्वास्थ्य सेवाओं में 10 हजार से ज्यादा श्रमिकों को रोजगार मिलेगा. इनकी आपूर्ति मुख्य रूप से देवरिया, बलिया, महराजगंज, कुशीनगर, कानपुर, कौशांबी, चित्रकूट, महोबा, बांदा, हमीरपुर, गोंडा, और गाजीपुर से हो रही है.
हस्तशिल्प और व्यापार में बढ़ोतरी
महाकुंभ ने हस्तशिल्प, रेडीमेड कपड़े, पूजा सामग्री, और स्मृति चिन्हों के व्यापार को बढ़ावा दिया है. कपड़े के व्यवसाय में गौतमबुद्ध नगर, कानपुर, गाजियाबाद, बनारस, मिर्जापुर, और उन्नाव के कारीगरों को लाभ हुआ है. साथ ही, भीड़ प्रबंधन, स्वच्छता, बिजली, पानी की आपूर्ति और सुरक्षा के काम ने गोरखपुर, मेरठ, हापुड़, लखनऊ, सीतापुर, कन्नौज, इटावा, और झांसी आदि जिलों को भी फायदा पहुंचाया है.
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रोजगार का बड़ा अवसर
महाकुंभ के दौरान प्रदेश के 82 बड़े ब्रांड्स और देश के 178 ब्रांड्स ने 9,000 युवाओं को अस्थायी रोजगार दिया है. इसके अलावा, टेंट सिटी ने 2,000 से ज्यादा स्थायी रोजगार उत्पन्न किए हैं. महाकुंभ ने न सिर्फ धार्मिक श्रद्धा का सशक्त केंद्र बना, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी गति दी है.