लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विपक्षी गठबंधन में दरारें साफ दिखने लगी हैं, खासकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच. यूपी कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडेय ने एक इंटरव्यू में यह संकेत दिया कि भविष्य में गठबंधन की कोई अनिवार्यता नहीं हो सकती, यदि दोनों दलों के बीच समझौता नहीं होता है. पांडेय ने कहा कि अगर समझौता नहीं हो पाता है, तो गठबंधन अनिवार्य नहीं है. इस बयान से यह साफ होता है कि कांग्रेस की यूपी में सपा के साथ गठबंधन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है.
सपा का आम आदमी पार्टी के समर्थन का मुद्दा
अविनाश पांडेय के इस बयान को सपा द्वारा दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के समर्थन से जोड़कर देखा जा रहा है. सपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को अपना समर्थन दिया है. जबकि लोकसभा चुनाव में सपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी विपक्षी गठबंधन में ही थे. इसके कारण भी दोनों दलों के बीच अनबन की स्थिति बन रही है. दरअसल, सपा ने यूपी विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी थी, जिससे कांग्रेस में नाराजगी बढ़ी है.
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सपा और कांग्रेस के सांसदों की संख्या
वर्तमान में यूपी में समाजवादी पार्टी के 37 और कांग्रेस के 6 सांसद हैं. दोनों दलों ने मिलकर यूपी में लोकसभा का चुनाव लड़ा था. इस राजनीतिक असहमति के चलते, यूपी में दोनों पार्टियों के गठबंधन को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं. विपक्षी दलों के बीच यह कशमकश आने वाले चुनावों में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. जहां दोनों दलों के बीच सीटों को लेकर गठबंधन या प्रतिस्पर्धा के कयास लगाए जा रहे हैं. सपा और कांग्रेस के इस बढ़ते मतभेद के बीच, यूपी में विपक्षी राजनीति का भविष्य अब और भी अनिश्चित नजर आ रहा है.