वाराणसी: श्री तैलंग स्वामी एक महान हिन्दू योगी और रहस्यवादी थे, जिनकी आध्यात्मिक शक्तियाँ आज भी लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ती हैं. माना जाता है कि वे भगवान शिव के अवतार थे और वाराणसी के चलने वाले भगवान शिव ‘सचल विश्वनाथ’ के रूप में प्रसिद्ध हैं. तैलंग स्वामी को गणपति सरस्वती के नाम से भी जाना जाता था और उनकी साधना, तप, और चमत्कारी कार्यों ने उन्हें भारतीय संत परंपरा का एक अनमोल रत्न बना दिया.
जीवन के अद्भुत चमत्कार
तैलंग स्वामी का जीवन चमत्कारी घटनाओं से भरपूर था. उनकी दीक्षा और साधना का मार्ग बचपन में ही एक अद्भुत घटना से साफ हुआ. कहते हैं कि बचपन में ही उन्होंने अपनी दिव्य शक्ति से एक पर्वत को स्थानांतरित कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने वाराणसी की ओर रुख किया. वाराणसी में अपनी साधना और चमत्कारी कार्यों के कारण वे बहुत प्रसिद्ध हुए.
तपती शिलाओं पर बैठकर लगाते थे ध्यान
स्वामी जी गंगा नदी के किनारे बैठकर साधना करते थे, कभी-कभी तो गंगा की धारा में भी उतर जाते थे. कई दिनों तक वे गंगा में डूबे रहते और बाद में किसी अन्य स्थान पर उभरते. गर्मी के दिनों में मणिकर्णिका घाट की तपती शिलाओं पर बैठकर वे तपस्या करते थे. उनकी साधना इतनी गहरी थी कि उन्हें कभी भोजन ग्रहण करते नहीं देखा गया.
जीवन की अद्वितीय घटनाएं
स्वामी जी के जीवन में कई अजीब और चमत्कारी घटनाएं घटीं. एक बार एक नास्तिक व्यक्ति उनके लिए चूना लेकर आया और उन्हें दही बताकर पिला दिया. हालांकि, स्वामी जी को इसका कोई असर नहीं हुआ, लेकिन वह व्यक्ति तुरंत संकट में पड़ गया. स्वामी जी ने उसे समझाया कि जैसे अणु-परमाणु में ईश्वर होता है, वैसे ही उनके शरीर में भी ईश्वर विराजमान हैं. इस घटना ने उनके दिव्य रूप और शक्ति को दर्शाया.
एक और घटना में, जब वे अपने शिष्यों के साथ ध्यान कर रहे थे, तो एक पेड़ की शाखा टूटकर गिर पड़ी. तैलंग स्वामी ने अपनी मानसिक शक्ति से उस शाखा को पुनः जोड़ दिया. वह शाखा फिर से हरी-भरी हो गई. यह घटना उनके अद्वितीय आत्मविश्वास और शक्तियों का प्रतीक थी.
मृत्यु और समाधि
तैलंग स्वामी ने अपनी मृत्यु का समय भी पूर्वाभास कर लिया था. उन्होंने अपने शिष्यों और अनुयायियों को एक दिन पहले इसकी सूचना दी. संवत 1944 (सन् 1887) की पौष सुदी 11 के दिन शाम को उन्होंने योगासन में बैठकर चित्त को एकाग्र कर अपने शरीर का त्याग किया. आज भी उनकी समाधि वाराणसी के पंचगंगा घाट पर स्थित है, जहां दुनियाभर से लोग उनके दर्शन करने आते हैं.
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तैलंग स्वामी का जीवन यह सिद्ध करता है कि आध्यात्मिक शक्ति शारीरिक आवश्यकताओं से परे होती है. उनके जीवन की शिक्षाएं और चमत्कारी घटनाएं आज भी लोगों के मन में अमिट प्रभाव छोड़ती हैं. उनके अनुयायी उनकी दिव्य शक्तियों और तपस्या की कहानी को श्रद्धा से सुनते हैं.