नई दिल्ली: साल 2024 को फेयरवेल दिया चुका है. नये साल की शुरूआत हो गई है. सभी ने नए साल का खूब उत्साह और उमंग के साथ स्वागत किया. 2025 में सबने सुख, शांति और समृद्धि की कामना की. लेकिन पिछले साल यानि 2024 में देश और दुनिया में कई ऐसी घटनाएं घटी, जिसने खूब सुर्खियां बटोरी. 2024 में जहां कई देशों के बीच जंग के हालात बने तो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनाव संपन्न हुए. ऐसी ही 10 बड़ी घटनाओं पर नजर डालते हैं.
भारत में फिर एनडीए सरकार- साल 2024 में अप्रैल से जून तक 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव संपन्न हुआ. 543 सीटों पर 7 चरणों में वोटिंग हुई. 4 जून को नतीजों की घोषणा हुई और तीसरी बार एनडीए के पक्ष में नतीजे आए. एनडीए को स्पष्ट बहुमत के साथ 292 सीटों पर विजय मिली. बीजेपी इस बार 240 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. वहीं विपक्षी इंडिया अलायंस को 234 सीट ही हासिल हुई. नरेंद्र मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने.
भारत और कनाडा के रिश्तों में दरार- साल 2024 में भारत और कनाडा के रिश्ते बहुत खराब दौरे में पहुंच गए. दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्काषित कर दिया. भारत ने कनाडा से अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाने का ऐलान कर दिया. दरअसल, कनाडाई सरकार, अलगावादी पन्नू की हत्या का आरोप भारतीय एजेंजियों पर लगा रही है लेकिन भारत सरकार ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. दोनों देशों के बीच बिगड़ते संबंध से व्यापार सहित कई क्षेत्रों में चिंताएं बढ़ा दी है.
भारत में इमरजेंसी का 50वां साल रहा 2024 – भारत में 25 जून 2024 को आपातकाल लागू करने के 50 साल पूरे हो गए. इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष में तीखी बहसबाजी देखने को मिली. बीजेपी ने आपातकाल के दौर को काले अध्याय के रूप में बताया तो कांग्रेस ने मोदी सरकार के कार्यकाल में अघोषित आपाताकाल होने का आरोप लगाया. बता दें 50 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर राष्ट्रति ने 1975 से 1977 तक देश में आपातकाल लगाया गया था. इस दौरान देश में मौलिक अधिकारों से लेकर प्रेस की स्वतंत्रता सहित सभी अधिकार निलंबित कर दिए गए थे. बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुई और चुनाव स्थगित कर दिया था.
मध्य-पूर्व एशिया में बने जंग के हालात- पिछले साल यानि 2024 में मीडिल ईस्ट जंग का मैदान बन गया. इजराइल ने हमास के खात्मे और बंधक बनाए गए अपने नागरिकों को छुड़ाने के लिए लगातार कई ऑपरेशन किए. इजराइल ने हमास के प्रमुख इस्माइल हानिया और हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह को मौते के घाट उतार दिया. इसके बाद हमास के अगले प्रमुख याह्हा सिनवार को भी इजराइल ने गाजा में मार गिराया. दूसरी ओर ईरान ने सीरिया के दमिश्क में अपने वाणिज्यिक दूतावास पर हुए हमले के जवाब में 14 अप्रैल को इजराइल पर कई ड्रोन और मिसाइल दागी. 1 अक्टूबर को भी ईरान ने 200 से ज्यादा मिसाईल से अटैक किया. इसके बाद इजराइल ने ईरान पर कई बार पलटवार किया.
वायनाड में लैंडस्लाइड- केरल के वायनाड में जुलाई के महीने में भयंकर लैंडस्लाइड हुआ. इस प्राकृतिक आपदा में सैंकड़ों लोगों की जान चली गई. यह इस साल की सबसे बड़ी त्रासदी थी. बादल फटने की वजह से मेप्पडी, मुंडक्कई और चूरलमाला भूस्खलन की चपेट में आ गए और ये गांव बह गए. सैलाब अपने साथ घर, पुल, सड़के और गाड़ियां सब कुछ बहाकर ले गया.
आरजी कर रेप-मर्डर केस- कोलकाता के आरजीकर अस्पताल में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप-मर्डर की वारदात सामने आई. दरिंदे ने महिला से रेप कर उसकी गला रेतकर हत्या कर दी थी. अस्पताल के सेमिनार हॉल से लेडी डॉक्टर का शव बरामद हुआ था. इस घटना ने पूरे देश को दहला दिया. आक्रोशित लोगों ने कोलकाता सहित देश के हर जगह विरोध-प्रदर्शन किया. दरिंदो को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
बांग्लादेश में तख्तापलट- पडोसी देश बांग्लादेश की सियासत में पिछले साल खूब उथल-पुथल रही. यहां छात्रों का आंदोलन इतना उग्र हो गया कि इस आंदोलन ने शेख हसीना सरकार की विदाई कर दी. हिंसक प्रदर्शनों के बाद तख्तापलट हो गया. आखिर में शेख हसीना देश छोड़कर होकर भारत आ गई. इसके बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर अत्याचार बढ़ गए. जिसकी वजह से भारत और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के रिश्ते प्रभावित हुए है.
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत- अमेरिका में नंवबर के महीने में राष्ट्रपति पद के चुनाव हुए. इस चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याक्षी डोनाल्ड ट्रंप ने भारी विजय प्राप्त की. उन्होंने डेमोक्रेट पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस को रिकॉर्ड मतों से पराजित कर दिया. बता दें राष्ट्रपति पद पर जीत के साथ ही रिपब्लिकन पार्टी ने हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव और सीनेट में भी बहुमत हासिल कर लिया है.
सीरिया में तख्तापलट और असद के शासन का अंत- सीरिया में राष्ट्रपति असद के 24 साल पुराने साम्राज्य का अंत हो गया. यहां विद्रोही गुटों ने एक साथ मिलकर सीरिया की सत्ता पर कब्जा कर लिया. असद ने सीरिया छोड़कर रूस में शरण ली है. बता दें साल 2000 से ही असद का सीरिया पर शासन था लेकिन अब तख्तापलट हो गया है और विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम ने यहां का प्रशासन की बागडोर संभाली है.
वन नेशन-वन इलेक्शन बिल लोकसभा में पेश- वन नेशन-वन इलेक्शन बिल को लोकसभा में स्वीकर कर लिया गया है. 17 नवंबर को सदन में इसपर बहस हुई. विपक्षी दलों के सांसदों ने इस बिल का जमकर विरोध किया. लेकिन जब वोटिंग कराई गई तो बिल के समर्थन में 269 और विरोध में 198 वोट पड़े. पास स्वीकार होने के बाद इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति यानि जेपीसी को भेज दिया गया.
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