नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन के बाद, आज शनिवार को उनके पार्थिव शरीर का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. लेकिन उनके स्मारक को लेकर सियासत शुरू हो गई है. कांग्रेस के कई नेताओं के बयान से नए विवाद का जन्म हो रहा है. कांग्रेस का कहना है कि सरकार पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह के समाधि स्थल के लिए उपयुक्त जगह नहीं ढूंढ पा रही है. वहीं, सरकार ने कहा कि इस प्रक्रिया में कुछ समय लगेगा.
समाधि स्थल बनाने के नियम
दिल्ली में समाधि स्थल बनाने के लिए कुछ विशिष्ट नियम हैं. जो भारत सरकार ने बनाए हैं. यह नियम यह सुनिश्चित करते है कि दिल्ली में केवल विशिष्ट श्रेणी के लोगों की ही समाधि बनाई जाए जो राष्ट्रीय महत्व रखते हों. या फिर जिनका राष्ट्रीय महत्व का योगदान हो. इसमें भारत के राष्ट्रपति, भारत के प्रधानमंत्री, उप-प्रधानमंत्री या फिर अन्य क्षेत्रों से जुड़े राष्ट्रीय महत्व रखने वाले व्यक्तित्व.
समाधि स्थल के लिए मंजूरी
समाधि स्थल बनाने के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी है. दिल्ली के राजघाट परिसर में ही इन समाधि स्थलों को बनाए जाने का प्रावधान है, लेकिन वहां की भूमि सीमित है, इसलिए यह निर्णय केंद्र सरकार द्वारा लिया जाता है.
समाधि स्थल बनाने की प्रक्रिया
संस्कृति मंत्रालय यह सुनिश्चित करता है कि समाधि स्थल केवल असाधारण योगदान देने वाले नेताओं के लिए बने. इसकी समीक्षा राजघाट क्षेत्र समिति द्वारा की जाती है. इसके बाद संस्कृति मंत्रालय, आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय और फिर सबसे बाद में गृह मंत्रालय इसकी स्वीकृति देता है. अंत में, दिल्ली विकास प्राधिकरण और राजघाट क्षेत्र समिति भूमि चयन कर मंजूरी देती है.
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2013 में नियमों में हुआ था बदलाव
2013 में राजघाट परिसर में समाधि स्थल बनाने की नीति में बदलाव किया गया था. अब यह सुनिश्चित किया जाता है कि समाधि स्थल केवल अत्यंत विशिष्ट नेताओं के लिए ही बनाए जाएं, ताकि भूमि का संतुलित उपयोग और पर्यावरण संरक्षण हो सके.